Maharashtra Politics: महाराष्ट्र में शिवसेना में बड़ी टूट के बाद खुद को एक बार फिर से मजबूत करने में जुटे उद्धव ठाकरे ने इस दिशा में पहला कदम में बढ़ा दिया है. इसी कड़ी में शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने शुक्रवार को मराठा संगठन संभाजी ब्रिगेड के साथ पार्टी के गठबंधन की घोषणा की. यह तब हुआ है, जब उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली पार्टी एकनाथ शिंदे के विद्रोह और महाराष्ट्र में सत्ता जाने के बाद के प्रभाव से जूझ रही है.
संभाजी ब्रिगेड के साथ शिवसेना के गठबंधन का ऐलान करने के साथ ही महाराष्ट्र के पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे ने कहा कि मराठा संगठन के साथ गठजोड़ वैचारिक है और इसे संविधान और क्षेत्रीय गौरव को बनाए रखने के लिए किया गया है. उन्होंने अपने पूर्व गठबंधन सहयोगी बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि कुछ लोग जो सोचते हैं कि लोकतंत्र का मतलब क्षेत्रीय दलों और क्षेत्रीय पहचान को खत्म करना है, वे अनियंत्रित तरीके से व्यवहार कर रहे हैं. ठाकरे ने आरएसएस की विचारधारा का पालन नहीं करने के लिए बीजेपी की आलोचना की और कहा कि संभाजी ब्रिगेड में विचारधारा के लिए लड़ने वाले लोग शामिल हैं.
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना के बागी विधायकों के बीच सुप्रीम कोर्ट में जारी कानूनी लड़ाई को लेकर उद्धव ठाकरे ने कहा कि नतीजे तय करेंगे कि देश में लोकतंत्र रहेगा या निरंकुशता. साथ ही महाराष्ट्र के पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे ने इस आरोप से भी इनकार किया कि उन्होंने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को कॉन्ट्रैक्ट सीएम कहा था.
राजनीतिक जानकार बताते है कि सेक्यूलर और ग्रामीण पृष्ठभूमि वाले मराठा वोटर शरद पवार के साथ हैं. शिवसेना का हिंदुत्ववादी मराठा वोटर भी सीएम शिंदे के साथ चले जाने की संभावना है. ऐसे में शिवसेना की तीन ताकतों हिंदुत्व, मराठी और मराठा में से एक शिंदे ले गए, हिंदुत्ववादी वोटर बीजेपी ले गई और मराठी वोटर राज ठाकरे काटेंगे तो शिवसेना का सोशल बेस फिर रह कहां जाता है? उद्धव ठाकरे ने मराठा गौरव की पहचान वाली एक दूसरी पार्टी संभाजी ब्रिगेड से गठबंधन किया है. संभाजी ब्रिगेड भले ही एक मजबूत राजनीतिक फोर्स नहीं है. लेकिन, एक आक्रामक सामाजिक फोर्स जरूर है.
उद्धव ठाकरे ने संभाजी ब्रिगेड के शिवसेना के गठबंधन की वजह बताते हुए कहा कि बीजेपी से क्षेत्रीय अस्मिता और लोकतंत्र को खतरा पैदा हो गया है, उससे निपटने के लिए छोटी पार्टियों की एकता वक्त की जरूरत है. हालांकि, यह कहानी इतनी साधारण नहीं है. दरअसल, बीजेपी ने एकनाथ शिंदे को सीएम बनाकर ना सिर्फ शिवसेना को बड़ा झटका दिया है, बल्कि शरद पवार की एनसीपी के साथ भी बड़ा खेल कर दिया है. मराठा जाति के वोटरों में शरद पवार की अच्छी खासी पैठ है. बीजेपी ने मराठा सीएम देकर ना सिर्फ शिवसेना को तोड़ा है, बल्कि एनसीपी के वोट बेस पर भी सेंध लगा दी है.