Maharashtra Politics: राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के नेता अजीत पवार के साथ मिलकर बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस ने 23 नवंबर, 2019 को मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली थी. हालांकि, यह सरकार दो दिन भी पूरे नहीं कर सकी थी. जिसको लेकर आज तक महाराष्ट्र की सियासत में चर्चाएं होती रहती हैं. इन सबके बीच, इसे लेकर देवेंद्र फडणवीस ने एक नया दावा किया है, जिसपर महाराष्ट्र में सियासी पारा चढ़ने लगा है.
दरअसल, महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस का कहना है कि अजीत पवार को साथ लेकर सरकार बनाने से पहले एनसीपी के मुखिया शरद पवार से बात की गई थी. वहीं, अब फडणवीस के इस दावे पर एनसीपी के प्रमुख शरद पवार ने आपत्ति जताई है और कहा कि मैं उनको एक सभ्य और समझदार आदमी समझता था. मैंने कभी नहीं सोचा था, वह झूठ का सहारा लेंगे.
वहीं, कांग्रेस के नेता अशोक चव्हाण ने भी देवेंद्र फडणवीस के बयान को गलत बताते हुए कहा कि शरद पवार ऐसे नेता रहे हैं, जो हमेशा से खुलकर बात करते रहे हैं. इधर, शिवसेना नेता आदित्य ठाकरे ने भी इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यदि किसी के साथ विश्वासघात किया गया है तो वह महाराष्ट्र की जनता है.
दरअसल, एक न्यूज चैनल से बातचीत में देवेंद्र फडणवीस ने कहा था कि उद्धव ठाकरे ने जब हमारे साथ विश्वासघात किया तो फिर एनसीपी के साथ स्थिर सरकार बनाने का ऑफर था. हमने खुद शरद पवार से ही बात की और फिर बहुत सी चीजें फाइनल हुईं. बीजेपी नेता ने कहा कि शरद पवार से सलाह के बाद ही तड़के शपथ का फैसला किया गया था. हालांकि, बाद में उन्होंने अपना स्टैंड बदल लिया. हर कोई जानता है कि फिर बाद में क्या हुआ था. फडणवीस ने कहा कि मैं नहीं मानता कि अजीत पवार ने एनसीपी से कोई बगावत की थी. उन्हें पूरे मामले में बलि का बकरा बना दिया गया था.
उल्लेखनीय है कि बीजेपी और शिवसेना ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2019 एक साथ मिलकर लड़ा था और बहुमत भी हासिल किया था. हालांकि, सीएम पद को लेकर दोनों के बीच विवाद शुरू हो गया था. बाद में शिवसेना ने एनसीपी और कांग्रेस के साथ मिलकर महाविकास अघाड़ी के नाम से गठबंधन तैयार किया और सरकार बना ली. उसके बाद से ही दोनों के बीच टकराव बना हुआ है.