Maharashtra Politics: महाराष्ट्र विधानसभा के स्पीकर राहुल नार्वेकर ने बुधवार को बड़ा फैसला सुनाते हुए मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे क्लीन चिट दे दी है. शिंदे गुट के विधायकों के खिलाफ अयोग्यता मामले में फैसला सुनाते हुए नार्वेकर ने कहा कि शिंदे गुट ही असली शिवसेना है और उद्धव ठाकरे भी पार्टी नियमों के तहत ही पार्टी के नेता बने थे. स्पीकर राहुल नार्वेकर ने कहा है कि उद्धव ठाकरे का नेतृत्व 2018 संविधान के मुताबिक नहीं है. ऐसे में उद्धव ठाकरे के पास एकनाथ शिंदे को हटाने का अधिकार नहीं है.
शिवसेना के 2018 संशोधित संविधान को नहीं माना जा सकता वैध: नार्वेकर
महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने कहा कि शिवसेना के 2018 संशोधित संविधान को वैध नहीं माना जा सकता क्योंकि यह भारत के चुनाव आयोग के रिकॉर्ड में नहीं है. उन्होंने कहा कि रिकॉर्ड के अनुसार मैंने वैध संविधान के रूप में शिवसेना के 1999 के संविधान को ध्यान में रखा है. उन्होंने कहा कि शिवसेना के उद्धव और शिंदे गुट की ओर से चुनाव आयोग को सौंपे गए संविधान पर कोई सहमति नहीं है. दोनों दलों के नेतृत्व संरचना पर अलग-अलग दृष्टिकोण हैं.
चुनाव आयोग असली शिवसेना पर पहले ही कर चुका है फैसला- स्पीकर
स्पीकर राहुल नार्वेकर ने कहा कि चुनाव आयोग असली शिवसेना पार्टी का फैसला पहले ही कर चुका है. 2018 का लीडरशिप स्ट्रक्चर को ही विश्वासी माना जा सकता है. उन्होंने कहा कि अपने फैसले में मैंने भी उसे ही मान्यता दी है.जिसके तहत राष्ट्रीय कार्यकारिणी में 19 सदस्य होंगे, जिनमें 14 चुने जाएंगे और पांच मनोनीत किए जाएंगे.
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महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष नार्वेकर ने कहा कि शिवसेना प्रमुख के पास किसी भी नेता को पार्टी से निकालने की शक्ति नहीं है.
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विधानसभा में शिंदे गुट को शिवसेना के 55 में से 37 विधायकों का समर्थन था.
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एकनाथ शिंदे नीत गुट ही असली शिवसेना है. जब जून 2022 को प्रतिद्वंद्वी समूह अस्तित्व में आया.
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1999 का संविधान वही है जो प्रतिद्वंद्वी समूहों की उत्पत्ति से पहले शिवसेना द्वारा निर्वाचन आयोग को प्रस्तुत किया गया था.
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शिवसेना का संविधान नेतृत्व संरचना की सीमा की पहचान को लेकर प्रासंगिक है.
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शिवसेना के 2018 के संविधान पर विचार करने की उद्धव ठाकरे गुट की दलील स्वीकार नहीं की जा सकती.
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चुनाव आयोग की ओर से दिया गया शिवसेना का संविधान वास्तविक संविधान है, जिसे शिवसेना का संविधान कहा जाएगा.
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उद्धव गुट के इस तर्क को स्वीकार नहीं कर सकते कि 2018 के पार्टी संविधान पर निर्भर किया जाना चाहिए.
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शिंदे गुट ही असली शिवसेना है और उद्धव ठाकरे भी पार्टी नियमों के तहत ही पार्टी के नेता बने थे.
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चुनाव आयोग ने शिंदे के नेतृत्व वाले गुट को शिवसेना नाम और तीर धनुष चुनाव चिह्न दे दिया. वहीं उद्धव ठाकरे गुट को शिवसेना (यूबीटी) नाम और चुनाव चिन्ह जलती हुई मशाल दिया. भाषा इनपुट के साथ