Maharashtra: उद्धव ठाकरे की बढ़ी मुश्किलें, संपत्ति की जांच ED और CBI से कराने की मांग, HC में सुनवाई आज

उद्धव ठाकरे और उनके परिवार के पास आय से अधिक संपत्ति की जांच ईडी और सीबीआई से कराने की मांग की गई है. इस मामले पर आज यानी बुधवार को सुनवाई होनी है.

By Piyush Pandey | October 19, 2022 1:17 PM
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महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यंमत्री उ‍द्धव ठाकरे की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही है. इस बीच खबर बॉम्बे हाई कोर्ट से एक खबर मिली है कि पूर्व मुख्यंमत्री उद्धव ठाकरे, उनकी पत्नी रश्मि ठाकरे और उनके दोनों बेटों आदित्य और तेजस के खिलाफ एक याचिका दायर की गई है, जिसमें ठाकरे परिवार के पास आय से अधिक संपत्ति की जांच ईडी और सीबीआई से कराने की मांग की गई है. इस मामले पर आज यानी बुधवार को सुनवाई होनी है.


गौरी और अभय भिड़े ने दायर की याचिका

बॉम्बे हाई कोर्ट में जनहित याचिका गौरी और अभय भिड़े द्वारा दायर की गई है. मीडिया रिपोर्ट की माने तो गौरी के परिजनों ने उद्धव ठाकरे के पिता और शिवसेना सुप्रीमों बाल ठाकरे के एक सप्ताहीक अखबर को संक्षिप्त में प्रकाशित किया था. बताया जाता है कि गौरी और उनका परिवार न खाउंगा न खाने दूंगा शब्द से प्रेरित है.

ठाकरे परिवार पर लगाया गया ये आरोप

जस्टिस संजय गंगापुरवाला और जस्टिस आरएन लड्ढा की अदालत में यह याचिका दायर की गई है. याचिका में गौरी और अभय भिड़े ने ठाकरे परिवार पर आरोप लगाया है कि उनकी कंपनी ने लॉकडाउन के दौरान अवैध तरीके से पैसे की उगाही की है. इसके अलावा उन्होंने सिडको ट्रस्ट प्रबोधन प्रकाशक के मालिक को दी गई जमीन को लेकर भी आरोप लगाया है, जिसमें उन्होंने बताया है कि ट्रस्ट की हिस्सेदारी को लेकर यह जमीन उद्धव ठाकरे ने अपने नाम करा लिया है. इस याचिका को लेकर कोर्ट में आज सुनवाई की जानी है.

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पार्टी सिंबल को लेकर भी बीच मझधार में फंसे ठाकरे

गौरतलब है कि महाराष्ट्र की राजनीति में भी उद्धव ठाकरे सरकार के निशाने पर है. बीते सप्ताह शिवसेना के चुनाव चिन्ह को लेकर ठाकरे और एक नाथ शिंदे गुट आमने सामने आ गई थी. हालांकि चुनाव आयोग ने चिन्हें को लेकर फिलहाल रोक लगा दी है. इधर महाराष्ट्र में उपचुनाव होने हैं, जिसमें दोनों गुटों को शिवसेना का पार्टी सिंबल का इस्तेमाल नहीं करने पर रोक लगा दी गई है. आयोग ने एक अधिसूचाना जारी करते हुए कहा था कि उपचुनाव के लिए दोनों गुटों को अलग अलग सिंबल का चयन करना होगा. इसके बाद निर्धारित समय पर चुनाव आयोग को इसकी सूचना देनी होगी.

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