महाराष्ट्र के एमएलसी चुनाव में महाविकास अघाड़ी को लगा झटका, नागपुर और अकोला में भाजपा ने जीत का परचम लहराया

मीडिया की रिपोर्ट्स के अनुसार, नागपुर में महाविकास अघाड़ी के 16 सदस्यों ने क्रॉस वोटिंग करके भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में मतदान किया.

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 14, 2021 12:57 PM

मुंबई : महाराष्ट्र में विधान परिषद की दो सीटों के लिए अभी हाल ही में हुए चुनाव में सूबे की सत्ताधारी गठबंधन महाविकास अघाड़ी को करारा झटका लगा है. किसानों के क्षेत्र विदर्भ के नागपुर और अकोला की विधान परिषद सीटों पर भाजपा के प्रत्याशियों ने अपना परचम लहराया है. मीडिया की रिपोर्ट्स के अनुसार, भाजपा के प्रत्याशियों ने महाविकास अघाड़ी के उम्मीदवारों के पारंपरिक वोटों में सेंध लगाकर यह जीत हासिल की है. महाविकास अघाड़ी के कई मतदाताओं ने भाजपा उम्मीदवारों के पक्ष में मतदान किया है.

विदर्भ में कांग्रेस की बुरी हार पर भाजपा के नेता चंद्रशेखर बावनकुले ने प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए कहा कि कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले को अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए. बता दें विधान परिषद के लिए नागपुर, अकोला, वाशिम और बुलडाना के स्थानीय निकाय चुनाव में विपक्षी पार्टी भाजपा ने महाविकास अघाड़ी को करारी शिकस्त दी है.

अकोला सीट पर भाजपा के प्रत्याशी वसंत खंडेलवाल ने 110 मत से जीत हासिल की है. उन्होंने इस सीट से लगातार तीन पर विधायक रह चुके शिवसेना के प्रत्याशी गोपी किशन बाजोरिया को 438 में 328 मतों से शिकस्त दी है.

वहीं, विधान परिषद की नागपुर सीट से भाजपा के प्रत्याशी चंद्रशेखर बावनकुले ने जीत हासिल की है. उन्होंने कांग्रेस समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार मंगेश देशमुख को शिकस्त दिया है. भाजपा के प्रत्याशी चंद्रशेखर बावनकुले को 362 मत जबकि कांग्रेस समर्थित मंगेश देशमुख को 186 मत मिले.

मीडिया की रिपोर्ट्स के अनुसार, नागपुर में महाविकास अघाड़ी के 16 सदस्यों ने क्रॉस वोटिंग करके भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में मतदान किया. महाविकास अघाड़ी के पास कुल 202 अधिकृत मत थे. बता दें कि कांग्रेस ने मतदान से ठीक पहले अपने उम्मीदवार रविंद्र (छोटू) भोयर को बदलकर निर्दलीय उम्मीदवार मंगेश देशमुख को समर्थन दे दिया था, जिसका खामियाजा उसे भुगतना पड़ा.

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मीडिया की रिपोर्ट्स के अनुसार, महाराष्ट्र में विधान परिषद चुनाव से ठीक पहले भाजपा नेता रविंद्र (छोटू) भोयर पार्टी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए थे, लेकिन कांग्रेस में उनको लेकर नेताओं में आपसी सहमति नहीं बन पा रही थी. पार्टी में आतंरिक विवाद की वजह से कांग्रेस ने आखिरी वक्त पर अपने प्रत्याशी रविंद्र (छोटू) भोयर को हटाकर निर्दलीय प्रत्याशी मंगेश देशमुख को अपना समर्थन दे दिया था.

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