मुंबई : नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) के क्षेत्रीय निदेशक समीर वानखेड़े को मंगलवार को दोहरा झटका लगा है. फर्जी तरीके से होटल का लाइसेंस हासिल करने के मामले में मुंबई पुलिस ने एक समन जारी कर ठाणे के कोपारी थाने में हाजिर होने का निर्देश दिया है. उन्हें 23 फरवरी को कोपारी थाने में हाजिर होना है. वहीं, बंबई हाईकोर्ट ने कोपारी थाने में दर्ज केस को रद्द करने वाली याचिका को रद्द कर दिया है. होटल लाइसेंस के लिए जालसाजी मामले में कोपारी थाने में दर्ज प्राथमिकी को रद्द कराने के लिए उन्होंने हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी.
बताते चलें कि समीर वानखेड़े की ओर से बंबई हाईकोर्ट में दायर याचिकाओं में कथित जालसाजी करके एक होटल के लिए शराब लाइसेंस प्राप्त करने के वास्ते ठाणे पुलिस द्वारा उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने और रद्द किये गये लाइसेंस को बहाल किये जाने का अनुरोध किया गया है. वानखेड़े ने दावा किया कि उनके खिलाफ बदले की भावना से कार्रवाई शुरू की गई थी, क्योंकि उन्होंने महाराष्ट्र के कैबिनेट मंत्री नवाब मलिक के दामाद को मादक पदार्थ मामले में तब गिरफ्तार किया था, जब वह मुंबई स्वापक नियंत्रण ब्यूरो (एनसीबी) इकाई का नेतृत्व कर रहे थे.
अब बंबई हाईकोर्ट ने समीर वानखेड़े की दोनों याचिकाओं पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया है. इसके साथ ही, अदालत ने वानखेड़े को प्रक्रिया पूरी करने का आदेश दिया है. अदालत ने कहा कि याचिका मेंशन किए बिना ही सूचीबद्ध कैसे हो गई? प्रभावशाली व्यक्ति ऐसे कैसे कर सकता है. अदालत याचिका पर सुनवाई नहीं करेगी.
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बता दें कि समीर वानखेड़े के खिलाफ राज्य के आबकारी विभाग ने ठाणे के कोपरी पुलिस थाने में प्राथमिकी दर्ज की थी. शिकायत के अनुसार, 1997 में वानखेड़े के नाम पर एक रेस्तरां और बार में शराब बेचने के लिए लाइसेंस हासिल करने के लिए जमा किए गए दस्तावेज जाली थे. शिकायत में कहा गया है कि वानखेड़े उस समय नाबालिग (17 वर्षीय) थे, जब उनके नाम पर शराब का लाइसेंस लिया गया था.