प्रेम-प्रसंग और बाहरी जाति में शादी के कारण हो रही युवाओं की हत्याएं, ऑनर किलिंग पर सीजेआई का बड़ा बयान
सीजेआई जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि देश में हर साल प्रेम-प्रसंग और अपनी जाति से बाहर शादी करने के कारण सैकड़ों युवा मार दिए जाते हैं. वहीं, सीजेआई जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि कानून की उचित प्रक्रिया में नागरिकों का विश्वास और स्वतंत्रता की रक्षा न्यायपालिका में निहित है.
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने देश में ऑनर किलिंग के लिए लव अफेयर और अपनी जाति के बाहर होने वाली शादी ब्याह को बड़ी वजह माना है. महाराष्ट्र में शनिवार को एक व्याख्यान में सीजेआई जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि देश में हर साल प्रेम-प्रसंग और अपनी जाति से बाहर शादी करने के कारण सैकड़ों युवा मार दिए जाते हैं. जस्टिस चंद्रचूड़ ने इसपर शोक भी जताया.
Maharashtra | Many people are killed each year for falling in love or marrying outside their caste or against their family's wishes: CJI DY Chandrachud in Mumbai (17.12) pic.twitter.com/ZRaqcR7FtY
— ANI (@ANI) December 18, 2022
कानूनी प्रक्रियाओं में नागरिक करें विश्वास: मुंबई में पूर्व अटॉर्नी जनरल अशोक देसाई की 90वीं जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में बोलते हुए सीजेआई जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि कानून की उचित प्रक्रिया में नागरिकों का विश्वास और स्वतंत्रता की रक्षा न्यायपालिका में निहित है. जो ‘‘स्वतंत्रताओं की संरक्षक’’ है. प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) ने यहां एक व्याख्यान देते हुए इस बात पर बल दिया कि उन उद्देश्यों को निर्भयता से आगे बढ़ाने वाले ‘बार’ के सदस्यों के जीवन के जरिये स्वतंत्रता की ज्योति आज भी प्रकाशमान है.
सीजेआई जस्टिस चंद्रचूड़ ने चोरी के एक मामले का हवाला देते हुए कहा कि एक ऐसा मामला जिसमें यदि उच्चतम न्यायालय ने हस्तक्षेप नहीं किया होता तो एक व्यक्ति को 18 साल कैद की सजा हो जाती. उन्होंने कहा कि ‘हमारे नागरिकों की स्वतंत्रता के संरक्षक के तौर पर हम पर विश्वास करें’. सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, कल एक मामले में, जिसमें बिजली चोरी को लेकर एक आरोपी को सत्र अदालत ने दो साल कैद की सजा सुनाई थी, लेकिन निचली अदालत के न्यायाधीश यह कहना भूल गये थे कि सजाएं एक साथ चलेंगी.’
सीजेआई ने कहा कि ‘इसलिए, इसका परिणाम यह हुआ कि बिजली के उपकरण चुराने वाले इस व्यक्ति को 18 साल जेल में रहना पड़ता, सिर्फ इसलिए कि निचली अदालत यह निर्देश नहीं दे सकी कि सजाएं एक साथ चलेंगी.’ सीजेआई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली शीर्ष अदालत ने शुक्रवार को उत्तर प्रदेश के रहने वाले इकराम नाम के एक व्यक्ति की याचिका का निस्तारण किया था. इकराम को विद्युत अधिनियम से जुड़े नौ आपराधिक मामलों में उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले की एक अदालत ने दोषी करार दिया था. अदालत ने इकराम को प्रत्येक मामले में दो साल के कारावास और जुर्माने की सजा सुनाई थी.
मामले का हवाला देते हुए सीजेआई ने शनिवार को कहा कि उच्च न्यायालय ने कहा था,‘माफ कीजिएगा हम कुछ नहीं कर सकते क्योंकि निचली अदालत ने आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 427 के संदर्भ में ऐसा नहीं किया.’ उन्होंने कहा, ‘हमें देश के एक सामान्य नागरिक के मामले में कल हस्तक्षेप करना पड़ा. मैं यह कहना चाहता हूं कि हमारे नागरिकों की स्वतंत्रताओं के संरक्षक के तौर पर हम पर विश्वास करिये.