Porsche Car Accident: कोर्ट ने आरोपी के पिता और दादा को पुलिस हिरासत में भेजा, 31 मई तक बढ़ी रिमांड

Porsche Car Accident: पुणे की एक कोर्ट ने मंगलवार को पोर्श कार हादसे शामिल नाबालिग आरोपी के पिता और दादा को 31 मई तक पुलिस हिरासत में भेज दिया. कोर्ट ने उनकी पुलिस हिरासत को भी 31 मई तक बढ़ा दिया है.

By Pritish Sahay | May 28, 2024 6:24 PM

Porsche Car Accident: पुणे पोर्श कार हादसे में कोर्ट ने आरोपी के पिता और दादा को पुलिस हिरासत में भेज दिया है. साथ ही दोनों की पुलिस हिरासत अवधि भी बढ़ाकर 31 मई तक कर दी है. यानी 31 मई तक दोनों पुलिस रिमांड में रहेंगे. कोर्ट ने नाबालिग आरोपी के पिता और दादा को ड्राइवर के कथित अपहरण और बंधक बनाने के मामले में 31 मई तक पुलिस हिरासत में भेज दिया है. बता दें मंगलवार को दोनों आरोपियों को न्यायिक मजिस्ट्रेट (प्रथम श्रेणी) एए पांडे के सामने पेश किया गया. दोनों पर आईपीसी की धारा 365 (अपहरण) और 368 (गलत तरीके से छिपाना या बंधक बनाना) के तहत मामला दर्ज किया गया है.

हादसे की जिम्मेदारी लेने का डाला था दबाव
बता दें, पुणे के कल्याणी नगर इलाके में बीते 19 मई को कथित तौर पर नाबालिग की तेज रफ्तार पोर्श कार से टक्कर के बाद बाइक सवार दो लोगों की मौोत हो गई थी. पुलिस ने दावा किया है कि हादसे के समय आरोपी नशे की हालत में था. इस मामले में पुलिस ने नाबालिग आरोपी समेत उसके पिता और रियल एस्टेट कारोबारी विशाल अग्रवाल और उसके दादा सुरेंद्र अग्रवार को हिरासत में ले लिया था. पुलिल का आरोप है कि विशाल अग्रवाल और सुरेंद्र अग्रवाल ने अपने ड्राइवर को पैसे का लालच देकर हादसे की जिम्मेदारी अपने सिर लेने को कहा था. सुरेंद्र अग्रवाल को 25 मई को गिरफ्तार किया गया और फिर अदालत ने उन्हें 28 मई तक पुलिस हिरासत में भेज दिया था. इसके बाद आज यानी मंगलवार को उनकी पुलिस हिरासत बढ़ाकर 31 मई कर दी गई है.

केस में फेर-बदल करने की कोशिश की गई
गौरतलब है कि नाबालिग आरोपी के परिजनों ने इस पूरे मामले में केस में पेर बदल करने की पूरी कोशिश की. आरोपियों ने ससून अस्पताल के डॉक्टरों को पैसे का लालच देकर ब्लड सैंपल में फेर बदल करवा लिया था. इस मामले में पुलिस ने अस्पताल के दो डॉक्टरों और एक कर्मचारी को गिरफ्तार किया गया था. दरअसल सोमवार को पुणे पुलिस ने  दावा किया था कि रक्त के नमूनों को ससून अस्पताल के एक चिकित्सक के निर्देश पर कूड़ेदान में फेंक दिया गया था और किसी अन्य व्यक्ति के नमूनों को उसके रक्त का नमूना बता दिया गया था. भाषा इनपुट के साथ

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