Pune Porsche Car Accident Case: पुणे पोर्श कार हादसा मामले में नाबालिग आरोपी के पिता को किशोर न्याय अधिनियम से संबंधित एक मामले में जमानत मिल गई है. इस मामले में 10 दिन पहले बहस हुई थी, जिसके बाद पुणे सेशन कोर्ट ने आज जमानत को मंजूर कर लिया. दरअसल बीते महीने की 19 तारीख को कथित तौर पर नशे की हालत में एक नाबालिग आरोपी ने अपनी लग्जरी पोर्श कार से दो लोगों को टक्कर मार दी थी. हादसे में दोनों की जान चली गई. हादसे के समय नाबालिग आरोपी नशे की हालत में था और कार भी काफी स्पीड में थी.
केस को दबाने की खूब हुई थी कोशिश
बता दें, घटना के बाद आरोपी के परिजनों की ओर से केस को दबाने की खूब कोशिश की गई थी. घटना के बाद ऐसा दिखाने की कोशिश की गई कि 19 मई को दुर्घटना के समय नाबालिग कार नहीं चला रहा था और कोई वयस्क व्यक्ति कार चला रहा था. वहीं आरोपियों ने सबूतों के साथ भी छेड़छाड़ की थी. ब्लड सैंपल को भी पैसे देकर बदलने का आरोप लगा है. रिपोर्ट के मुताबिक हादसे से पहले नाबालिग आरोपी ने जमकर शराब पी थी.
आरोपी के सामान्य शर्तों के साथ मिल गई थी जमानत
जिस दिन हादसा हुआ था उसके बाद पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया था. नाबालिग को किशोर न्याय बोर्ड में पेश किया गया जहां से उसे आसान सी शर्तों के साथ जमानत दे दी गई. बोर्ड ने उसे सड़क सुरक्षा नियमों पर लेख लिखने को कहा गया था. इसके अलावा उसे 15 दिन ट्रैफिक पुलिस के साथ रहने को कहा गया था. साथ ही डॉक्टर और मनोचिकित्सक के परामर्श लेने को कहा गया था.
बम्बई हाई कोर्ट ने पूछा सवाल
वहीं, पुणे पोर्श कांड में बम्बई हाई कोर्ट ने आज यानी शुक्रवार को पूछा कि पुणे पोर्श कार हादसा मामले में नाबालिग आरोपी को पहले जमानत देना और फिर उसे हिरासत में ले लेना और फिर सुधार गृह में रखना क्या कैद के समान नहीं है. न्यायमूर्ति जस्टिस भारती डांगरे और न्यायमूर्ति मंजूषा देशपांडे की खंडपीठ ने कहा कि इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि दुर्घटना दुर्भाग्यपूर्ण थी. अदालत ने कहा कि दो लोगों की जान चली गई. यह बहुत दर्दनाक हादसा तो था ही, लेकिन नाबालिग आरोपी भी मानसिक अभिघात में था. खंडपीठ ने पुलिस से यह भी पूछा कि कानून के किस प्रावधान के तहत पोर्श दुर्घटना मामले में नाबालिग आरोपी को जमानत देने के आदेश में संशोधन किया गया और उसे कैद में किस आधार पर रखा गया. भाषा इनपुट के साथ