Shinde vs Thackeray: महाराष्ट्र में सियासी तूफान फिलहाल कहीं से भी थमता नजर नहीं आ रहा है. पार्टी सिंबल और नाम के साथ साथ अब सिंदे गुट शिवसेना के दफ्तर पर कब्जे की तैयारी में जुटा है. तो वहीं, कब्जे से बचाने के लिए ठाकरे गुट के पूर्व पार्षदों ने बीएमसी मुख्यालय स्थित शिवसेना के कार्यालय के बाहर डेरा डाल दिया है. ताकि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाला गुट इसपर कब्जा न कर ले. वहीं, पूर्व पार्षदों के डेरा डालने के बाद वहां भारी संख्या में पुलिस बल की तैनाती कर दी गई है.
हमें किसी तरह का लालच नहीं-शिंदे: इधर, महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे ने सोमवार को अपने बयान में कहा था कि चुनाव आयोग ने उनके गुट को असली शिवसेना की मान्यता दे दी है. ऐसे में वो किसी भी संपत्ति पर दावा नहीं करेंगे. उन्होंने कहा कि हम बालासाहेब ठाकरे की विचारधारा के वारिस हैं और हमें किसी प्रकार का लालच नहीं है. उन्होंने साफ कर दिया था कि नाम और सिंबल के साथ विधानमंडल परिसर स्थित पार्टी का कार्यालय शिवसेना का है. इसके अलावा अन्य किसी भी संपत्ति से हमें कोई लालच नहीं है.
बीजेपी से नाता तोड़ना गलत फैसला- शिंदे: सीएम शिंदे ने कहा कि विधानसभा चुनाव परिणाम के बाद मुख्यमंत्री पद का कार्यकाल साझा करने को लेकर बीजेपी के साथ शिवसेना का गठबंधन तोड़ने के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के फैसले का स्पष्ट रूप से जिक्र करते हुए कहा कि संपत्ति और धन के लालची लोगों ने 2019 में गलत कदम उठाया था. ठाकरे ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस के साथ गठबंधन करके सरकार बनाई थी, जो पिछले साल जून तक रही.
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गौरतलब है कि शिवसेना के दो गुटों के बीच दिसंबर 2022 में टकराव के बाद बीएमसी प्रशासन ने निकाय मुख्यालय में सभी राजनीतिक दलों के कार्यालयों को सील कर दिया था. ये कार्यालय अब भी सील हैं. वहीं, निर्वाचन आयोग ने शिंदे के नेतृत्व वाले गुट को शुक्रवार को असली शिवसेना के रूप में मान्यता दी थी और उसे दिवंगत बालासाहेब ठाकरे द्वारा स्थापित अविभाजित शिवसेना का ‘तीर-कमान’ चुनाव चिह्न आवंटित करने का आदेश दिया था.
भाषा इनपुट से साभार