12.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

महाराष्ट्र राजनीतिक संकट पर SC ने कहा-उद्धव ठाकरे को सीएम नहीं बना सकते, लेकिन राज्यपाल का फैसला गैरकानूनी

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि शिंदे गुट के भरत गोगावाले को शिवसेना पार्टी का सचेतक नियुक्त करने का विधानसभा अध्यक्ष का फैसला गैरकानूनी था.

महाराष्ट्र के राजनीतिक संकट पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने कहा कि हम उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री के रूप में बहाल नहीं कर सकते क्योंकि उन्होंने फ्लोर टेस्ट से पहले ही इस्तीफा दे दिया था. लेकिन राज्यपाल ने जिस तरह से फ्लोर टेस्ट कराया वह गैरकानूनी था.

सुप्रीम कोर्ट की 5 सदस्यीय पीठ ने सुनाया फैसला

सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने आज महाराष्ट्र के राजनीतिक संकट पर सर्वसम्मति से फैसला सुनाया और मामले को सात सदस्यीय पीठ को सौंप दिया. CJI डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ जिसमें जस्टिस एमआर शाह, कृष्ण मुरारी, हिमा कोहली और पीएस नरसिम्हा भी शामिल हैं उन्होंने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि राज्यपाल का फ्लोर टेस्ट कराने का फैसला सही नहीं था. कोर्ट ने कहा कि राज्यपाल को सिर्फ पार्टी व्हिप को ही मान्यता देनी चाहिए.

विधानसभा अध्यक्ष का फैसला गैरकानूनी : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि शिंदे गुट के भरत गोगावाले को शिवसेना पार्टी का सचेतक नियुक्त करने का विधानसभा अध्यक्ष का फैसला गैरकानूनी था. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि पार्टी के अंदरुनी विवाद पर फ्लोर टेस्ट नहीं कराया जा सकता है. विधानसभा अध्यक्ष ने यह जानने की कोशिश नहीं की कि सुनील प्रभु या भरत गोगावाले में से राजनीतिक दल का अधिकृत सचेतक कौन है.

सवालों के घेरे में राज्यपाल की भूमिका

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष को केवल राजनीतिक दल द्वारा नियुक्त सचेतक को मान्यता देनी चाहिए. न्यायालय ने कहा कि राज्यपाल ने जिस प्रस्ताव पर भरोसा किया उसमें यह संकेत नहीं था कि विधायक समर्थन वापस लेना चाहते हैं, उसमें सदन में शक्ति परीक्षण कराने के लिए भी कोई बात नहीं थी. ऐसे में राज्यपाल की भूमिका सवालों के घेरे में आ जाती है. कोर्ट ने कहा कि इस मामले में आगे की सुनवाई कोर्ट की सात सदस्यीय पीठ करेगी.

एकनाथ शिंदे की सरकार पर फिलहाल संकट नहीं

न्यायालय ने कहा कि उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री के रूप में बहाल नहीं किया जा सकता क्योंकि उन्होंने सदन में बहुमत साबित होने से पहले ही इस्तीफा दे दिया था. इसका अर्थ यह है कि सात सदस्यीय पीठ द्वारा सुनवाई करने के दौरान एकनाथ शिंदे की सरकार पर कोई संकट नहीं आयेगा. हालांकि न्यायालय ने शिवसेना विधायकों के एक धड़े के उस प्रस्ताव को मानने के लिए राज्यपाल को गलत ठहराया जिसमें कहा गया कि उद्धव ठाकरे के पास बहुमत नहीं रहा

Also Read: दिल्ली सरकार की बड़ी जीत, अब प्रशासनिक ट्रांसफर पोस्टिंग दिल्ली सरकार के नियंत्रण में

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें