ठाणे : नकली कोविड वैक्सीन सर्टिफिकेट बनाने के मामले में एक गिरफ्तार, 2000 रुपये में कर देता था काम
महाराष्ट्र की ठाणे पुलिस ने नकली कोविड वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट मुहैया कराने वाले गैंग का पर्दाफाश किया है. पुलिस ने इस गैंग के एक व्यक्ति को गिरफ्तार भी किया है.
मुंबई : भारत में कोरोना की तीसरी लहर अपने ढलान पर है. महामारी की मार से जूझ रहे देश के लोगों को आर्थिक मदद से लेकर तमाम प्रकार की सुविधाएं मुहैया कराने के लिए कई प्रकार की योजनाएं बनाकर चला रही है, लेकिन आपदा में अवसर तलाशकर गोरखधंधा और ठगी करने वालों की इस देश में कमी नहीं है. नकली कोरोना का टीका और आरटी-पीसीआर टेस्ट रिपोर्ट बनाने के बाद अब कोविड टीके के नकली सर्टिफिकेट बनाने का मामला भी सामने आया है. कोरोना टीके का नकली सर्टिफिकेट बनाने के आरोप में महाराष्ट्र की ठाणे पुलिस ने गैंग का पर्दाफाश करते हुए एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया है.
समाचार एजेंसी एएनआई की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार, महाराष्ट्र की ठाणे पुलिस ने नकली कोविड वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट मुहैया कराने वाले गैंग का पर्दाफाश किया है. पुलिस ने इस गैंग के एक व्यक्ति को गिरफ्तार भी किया है. पुलिस की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार, यह व्यक्ति 2000 रुपये में लोगों को कोरोना रोधी टीके की दोनो खुराक लगवाने का सर्टिफिकेट मुहैया कराता था.
Maharashtra: With the arrest of a man, Thane City Police has busted a gang involved in providing fake COVID vaccination certificates to unvaccinated persons for Rs 2000, say police
— ANI (@ANI) February 4, 2022
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बताते चलें कि महाराष्ट्र की ठाणे पुलिस के पहले हैदराबाद पुलिस के साउथ जोन टास्क फोर्स की टीम ने पिछले जनवरी महीने की 21 तारीख को नकली आरटी-पीसीआर टेस्ट रिपोर्ट और नकली कोविड वैक्सीन सर्टिफिकेट बनाने वाले गैंग के दो लोगों को गिरफ्तार किया था. यह दोनों गैंग हैदराबाद के मलकपेट और हैदाराबाद के हुमायूंनागर पुलिस स्टेशन इलाके से अपने काम को अंजाम देते थे.
हैदराबार में इस गिरोह का आरोपी लक्ष्मण महबूबनगर का रहने वाला था. उसने 2012 में मेडिकल लैब टेक्नोलॉजी में डिप्लोमा हासिल किया था. उसने एक साल पहले मलकपेट इलाके में डायग्नोस्टिक सेंटर खोला और एक मेडसिस पैथलैब के साथ टाई अप किया. फिर कोरोना महामारी में दौरान अधिक रुपये लेकर लोगों को नकली आरटी-पीसीआर नेगेटिव रिपोर्ट देता था. इसके लिए एक नेगेटिव सर्टिफिकेट के लिए 2000 से 3000 रुपये वसूल करता था.