पूरे देश में जारी लॉकडाउन के बीच, नवी मुंबई से अस्पतालों की संवेदनहीनता की खबर आ रही है. मायानगरी में एक महिला उस वक्त पूरी तरह बेबस हो गयी, जब दो अस्पतालों ने पेशे से वकील उसके पति को भर्ती करने से इनकार कर दिया. महिला के पति को दिल का दौरा पड़ा था. इलाज के लिए महिला एंबुलेंस में पति को लेकर एक से दूसरे अस्पताल भटकती रही, इस दौरान पति ने इलाज के अभाव में दम तोड़ दिया. जब, 56 वर्षीय जयदीप सावंत को एक चिकित्सा केंद्र में भर्ती कराया गया, तब तक बहुत देर हो चुकी थी. डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया.
जयदीप सावंत की पत्नी दीपाली कहा कि उनके पति सामाजिक कार्यों में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेते थे. कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए मुंबई में लागू लॉकडाउन के बावजूद शुरुआती दिनों में उनके पति ने परेशान पड़ोसियों को जरूरी सामान पहुंचाने की पहल की थी लेकिन उन्हें समय से मदद न मिलने के कारण उनकी मौत हो गई. नवी मुंबई के वाशी इलाके के सेक्टर-17 के निवासी जयदीप सावंत को 14 अप्रैल को दिल का दौरा पड़ा था. दिन का खाना खाने के बाद वह बेहोश हो गए थे. उनकी पत्नी दीपाली ने बताया कि दिल का दौरा पड़ने के बाद उनकी नब्ज चल रही थी. वह उस वक्त तक जिंदा थे.
इसके बाद उन्होंने तुरंत एंबुलेंस बुलायी और उन्हें पास के अस्पताल में ले जाया गया. दीपाली ने कहा, “लेकिन अस्पताल में मरीज को देखना तो दूर अस्पताल के सुरक्षा गार्ड ने गेट तक नहीं खोला. अस्पताल में उन्हें कहा कि वहां सिर्फ कोविड-19 मरीजों को भर्ती करते हैं और किसी अन्य आपात मामले का वो इलाज नहीं कर सकते हैं. इसके बाद जयदीप सांवत को फिर सेक्टर 10 के निगम अस्पताल ले जाया गया, लेकिन वहां भी उन्हें अस्पताल के अंदर नहीं जाने दिया गया.
दो अस्पतालों के इलाज से इनकार करने के बाद दीपाली अपने पति को नेरूल के डी वाई पाटिल अस्पताल ले गयी. पर वहां डॉक्टरों ने जयदीप सांवत को मृत घोषित कर दिया. मृतक जयदीप सावंत की शोकसंतप्त पत्नी ने कहा कि जब वे डी वाई पाटिल अस्पताल पहुंचे तब तक आधे घंटे का समय बर्बाद हो चुका था. जब हम अस्पताल पहुंचे तब उनके पति को मृत घोषित कर दिया गया. अगर सही समय पर इलाज हुआ होता तो आज उनके पति जिंदा होते.