महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमा विवाद पर बोले उद्धव ठाकरे, कहा – पीएम मोदी को साफ करना चाहिए अपना रुख

महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच सीमा विवाद दोनों राज्यों के सीमावर्ती क्षेत्रों से हिंसा की घटनाओं की सूचनाएं आने के बाद गहरा गया है. यह विवाद 1957 में भाषाई आधार पर राज्यों का पुनर्गठन करने के बाद से ही है. महाराष्ट्र कर्नाटक के बेलगावी पर दावा पेश करता है, जो भूतपूर्व बम्बई प्रेसिडेंसी का हिस्सा था.

By KumarVishwat Sen | December 10, 2022 7:32 PM

जालना (महाराष्ट्र) : महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमा विवाद पर शनिवार को महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने शनिवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को महाराष्ट्र-कर्नाटक के बीच सीमा विवाद के मुद्दे पर अपने रुख को साफ करना चाहिए. इसके साथ ही, शिवसेना (यूबीटी) के एक गुट के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने अदालतों में जजों की नियुक्ति की ‘कॉलेजियम’ प्रणाली का भी बचाव किया. उन्होंने भाजपा नीत केंद्र सरकार पर न्यायपालिका पर दबाव डालने और इसे अपने नियंत्रण में लाने की कोशिश करने का भी आरोप लगाया.

महाराष्ट्र की कई समस्याओं का करना होगा समाधान

महाराष्ट्र के जालना स्थित संत रामदास कॉलेज में 42वें मराठवाड़ा साहित्य सम्मेलन के उद्घाटन के मौके पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (रविवार को) नागपुर-मुंबई एक्सप्रेसवे का उद्घाटन करने आ रहे हैं और हम उनका स्वागत करते हैं. उन्हें अपनी यात्रा के दौरान महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमा विवाद पर अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए. जब प्रधानमंत्री एक्सप्रेसवे के उद्घाटन के लिए आएंगे, तो उन्हें राज्य की कई समस्याओं का समाधान करना होगा. शिवसेना (यूबीटी) के नेता ने कहा कि उन्हें कर्नाटक के मुख्यमंत्री के बारे में बोलना चाहिए, जो महाराष्ट्र के कुछ गांवों पर दावा कर रहे हैं.

1957 से ही महाराष्ट्र-कर्नाटक के बीच है सीमा विवाद

महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच सीमा विवाद दोनों राज्यों के सीमावर्ती क्षेत्रों से हिंसा की घटनाओं की सूचनाएं आने के बाद गहरा गया है. यह विवाद 1957 में भाषाई आधार पर राज्यों का पुनर्गठन करने के बाद से ही है. महाराष्ट्र कर्नाटक के बेलगावी पर अपना दावा पेश करता है, जो भूतपूर्व बम्बई प्रेसिडेंसी का हिस्सा था. इसके पीछे उसका तर्क है कि वहां पर मराठी भाषी लोगों की संख्या अच्छी खासी है. महाराष्ट्र कर्नाटक के मराठी भाषी करीब 814 गांवों पर भी अपना दावा पेश करता है.

कॉलेजियम प्रणाली पर उपराष्ट्रपति पर साधा निशाना

इतना ही नहीं उद्धव ठाकरे ने केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रीजीजू और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ की कॉलेजियम प्रणाली के खिलाफ बयान देने के लिए आलोचना की. रीजीजू ने पिछले महीने कहा था कि कॉलेजियम प्रणाली संविधान के प्रति ‘सर्वथा अपिरचित’ शब्दावली है. वहीं, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने राज्यसभा में अपने पहले भाषण में राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) कानून को रद्द करने के लिए न्यायपालिका की आलोचना की, इसे संसदीय संप्रभुता के साथ गंभीर समझौते. का उदाहरण बताया.

जज ही जजों की नियुक्ति नहीं करेंगे, तो क्या पीएम चुनेंगे

कॉलेजियम प्रणाली के खिलाफ दिए गए बयानों की आलोचना करते हुए उद्धव ठाकरे ने पूछा कि अगर जज ही जजों की नियुक्ति नहीं कर सकते, तो क्या प्रधानमंत्री उन्हें चुन सकते हैं. उन्होंने दावा किया कि आठ साल बाद भी सुप्रीम कोर्ट 500 रुपये और 1,000 रुपये के नोटों को बंद करने के केंद्र सरकार के विवादास्पद फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है. ठाकरे ने कहा, “ नोटबंदी से पीड़ित लोगों को न्याय कब मिलेगा?

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सड़कों पर उतरकर शासकों से सवाल पूछें लेखक

उद्धव ठाकरे ने लेखकों से समाज को बदलने और शासकों से सवाल पूछने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की अपील की. पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि लेखकों को शासकों से सवाल पूछने चाहिए. केवल संगोष्ठि और चर्चा करना काफी नहीं है. उन्हें सड़कों पर उतरना चाहिए और शासकों से उनके गलत कामों के लिए सवाल पूछना चाहिए. ठाकरे ने कहा कि स्वतंत्रता खतरे में है. शासकों के खिलाफ बोलने वालों को जेल भेजा जा रहा है.

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