महाराष्ट्र के पूर्व डिप्टी सीएम अजीत पवार ने उद्धव ठाकरे को लेकर एक बड़ा बयान दे दिया है. उन्होंने एक बयान में कहा कि महाराष्ट्र संकट के दौरान उद्धव ठाकरे अगर छगन भुजबल की मदद ली होती, तो आज भी मुख्यमंत्री होते. पवार ने कहा, शिवसेना के 15 विधायकों के पार्टी से हटने पर उद्धव ठाकरे को छगन भुजबल (राकांपा नेता) की मदद लेनी चाहिए थी. उन्होंने कहा, अगर आपने उनसे संपर्क किया होता, तो आप महाराष्ट्र के सीएम होते.
2002 में संकट में घिरी विलासराव देशमुख की सरकार को भुजबल ने बचाया था
महाराष्ट्र विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अजित पवार ने राकांपा के गठन में भुजबल की भूमिका को याद किया और बताया कि कैसे उन्होंने 2002 में संकट में घिरी विलासराव देशमुख की सरकार को बचाने में अहम किरदार अदा किया था. पवार ने कहा, यदि उद्धव ठाकरे ने भुजबल की मदद ली होती, तो वह आज भी मुख्यमंत्री होते.
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Uddhav Thackeray should have sought the help of Chhagan Bhujbal (NCP leader) when Shiv Sena's 15 MLAs deflected from the party. He's the master of such scenarios. Had you contacted him, you could've still been the CM of Maharashtra: LoP and former Maharashtra Deputy CM Ajit Pawar pic.twitter.com/7ADwfgKbZw
— ANI (@ANI) October 13, 2022
भुजबल शिवसेना न छोड़ते तो मुख्यमंत्री बन गए होते: उद्धव
इधर शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने कहा कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के वरिष्ठ नेता छगन भुजबल ने शिवसेना नहीं छोड़ी होती तो वह महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बन गए होते. ठाकरे ने भुजबल के 75वें जन्मदिन पर आयोजित एक कार्यक्रम में यह बात कही. कार्यक्रम में शिवसेना-राकांपा-कांग्रेस के गठबंधन महा विकास आघाड़ी (एमवीए) के कई नेताओं ने शिरकत की.
मैं ऐसा व्यक्ति बन गया हूं, जिसे कोई झटका नहीं लगता : ठाकरे
उद्धव ठाकरे ने कहा, अब मैं ऐसा व्यक्ति बन गया हूं, जिसे कोई झटका नहीं लगता. लेकिन जब भुजबल ने शिवसेना छोड़ी थी, तो मैं स्वीकार करता हूं कि हमारा परिवार स्तब्ध रह गया था. वह गुस्सा राजनीतिक था. हम लंबे समय तक इस बात को पचा नहीं पाए कि हमारे परिवार का एक सदस्य हमें छोड़कर चला गया है.
1990 में भुजबल ने शिवसेना छोड़कर थाम लिया था कांग्रेस का दामन
एक समय शिवसेना के तेजतर्रार नेता रहे भुजबल ने 1990 में बाल ठाकरे की पार्टी शिवसेना छोड़कर कांग्रेस का दामन थाम लिया था. इसके बाद जब पवार ने राकांपा का गठन किया, तो वह उनके साथ चले गए.