Vande Bharat Mission: ‘वंदे भारत मिशन’ के तहत विशेष उड़ानों से लाए गये करीब 58,867 भारतीयों में से केवल 227 यात्रियों को बाद में कोविड-19पॉजिटिव पाया गया. केंद्र सरकार ने गुरुवार को बॉम्बे हाईकोर्ट में यह जानकारी दी है. जस्टिस एस जे कथावाला और एस पी तावडे की बेंच गुरुवार को एयर इंडिया के पायलट देवेन कानानी द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी.
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याचिका में आरोप लगाया गया था कि एयर इंडिया ने विदेशों में फंसे भारतीयों को निकालने के दौरान विमानों में सामाजिक सुरक्षा मानदंडों का उल्लंघन किया था. केंद्र ने बताया कि पॉजिटिव पाए गए कुल यात्री कुल यात्रियों का 0.38 प्रतिशत हैं.
याचिकाकर्ता के वकील अभिलाष पनिकर ने तर्क दिया कि डीजीसीए दिल्ली, महाराष्ट्र और तेलंगाना आने वाले 18,896 यात्रियों में से उनकी जानकारी नहीं दे रहा है, जिन्हें कोरोना वायरस पॉजिटिव पाया गया है. मुंबई मिरर के मुताबिक, केंद्र ने यह भी कहा कि संस्थागत क्वारंटीन अवधि के दौरान ये मामले सामने आए थे, इसलिए यह कहना मुश्किल है कि क्या वे उड़ान में आते वक्त कोरोना वायरस पॉजिटिव थे या नहीं.
दरअसल, मंगलवार को हाई कोर्ट ने नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) और एयर इंडिया को उन भारतीयों का डेटा उपलब्ध कराने के लिए कहा गया था, जो संक्रमित नहीं थे और उन्हें वंदे भारत मिशन के तहत विशेष उड़ानों में लाया गया था लेकिन बाद में वह कोरोना वायरस पॉजिटिव पाए गए थे. विवरणों को देखने के बाद हाईकोर्ट ने नागरिक उड्डयन मंत्रालय की विशेषज्ञ समिति से स्पष्टीकरण मांगा कि क्या कोविड -19 संक्रमित व्यक्ति के स्पर्श मात्र से वायरस किसी अन्य व्यक्ति को प्रेषित किया जा सकता है.
देश के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने डीजीसीए का प्रतिनिधित्व करते हुए मंगलवार को कहा था कि कोविड -19 को रोकने के लिए विशेष उड़ानों ने सभी सुरक्षा और सामाजिक दूरियों के मानदंडों का पालन किया. सुप्रीम कोर्ट के 25 मई के आदेश के बाद डीजीसीए ने एयरलाइन्स से उड़ानों की बीच वाली सीट को खाली रखने या यात्रियों को रैप-अराउंड गाउन(पीपीई किट) प्रदान करने के लिए कहा था.
Posted By: Utpal kant