बंबई उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को पूछा कि कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों के नाम का खुलासा क्यों किया जाना चाहिए और कहा कि यह मुद्दा ऐसे मरीजों की निजता के अधिकार से जुड़ा है. न्यायमूर्ति ए ए सैयद और न्यायमूर्ति एम एस कार्णिक की खंडपीठ ने दो लोगों की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की.
याचिका में कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों के नामों का खुलासा करने का आग्रह किया गया, ताकि उनके संपर्क में आए लोगों का पता लगाया जा सके और दूसरों को संक्रमित होने से बचाया जा सके. कानून की छात्रा वैष्णवी घोलवे और सोलापुर के एक किसान महेश गाडेकर ने यह जनहित याचिका दायर की है. जनहित याचिका में कहा गया है कि जब जीवन के मौलिक अधिकार और स्वस्थ जीवन जीने के अधिकार का निजता के मौलिक अधिकार से टकराव होता है तो अदालत को यह देखने की जरूरत है कि इनमें से किन अधिकारों से जनता के हितों पर असर पड़ेगा.
पीठ ने कहा, ‘‘कोविड-19 से पीड़ित व्यक्ति की पहचान का खुलासा करने में किस हद तक जाया जा सकता है? निजता का अधिकार इसमें जुड़ा है. अधिकारी किसी के संक्रमित पाए जाने पर किसी विशेष स्थान या इमारत को निषिद्ध क्षेत्र के तौर पर घोषित करते हैं, ताकि लोगों को इसके बारे में पता चल सके. ”
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अदालत ने कहा, ‘‘क्या यह पर्याप्त नहीं है? आप क्यों जानना चाहते हैं कि कौन-सा व्यक्ति संक्रमित पाया गया है?” उच्च न्यायालय ने इस याचिका पर महाराष्ट्र सरकार से भी जवाब मांगा. केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए वकील आदित्य ठक्कर ने कहा कि भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) द्वारा जारी दिशा निर्देशों के अनुसार कोविड-19 मरीजों के नाम घोषित नहीं किए जा सकते क्योंकि ऐसा करने से उनके प्रति लोग अनुचित सोच रख सकते हैं.
हालांकि याचिकाकर्ता के वकील विनोद संगवीकार ने दलील दी कि आईसीएमआर के ये दिशा-निर्देश केवल उन लोगों के लिए हैं जिनकी मौत कोविड-19 से हुई है. पीठ मामले में अगली सुनवाई दो हफ्ते बाद करेगी. इसने महाराष्ट्र सरकार को याचिका पर जवाब देने का निर्देश दिया.
posted by : sameer oraon