Muzaffarpur: अंकित कुमार, मुजफ्फरपुर. इसे लोकतंत्र के प्रति आस्था ही कहेंगे कि सड़क दुर्घटना में एक पैर गंवाने के बाद किसी तरह अपना जीवन चलाने वाले बद्री साह दो किलोमीटर रेंगते हुए बूथ तक पहुंचे. पीछे-पीछे उनके पुत्र रंजीत साह सहारा दे रहे थे, पर बद्री एक हाथ में लकड़ी की तख्ती और दूसरे हाथ से सड़क पर आत्मविश्वास के साथ रेंगते किसी तरह चल रहे थे. बूथ पर तैनात जवानों ने उन्हें उठाकर ले जाने की बात कही, तो उन्होंने कहा कि जब तक हाथ में जान हई हम अपने से चल के जायम. रउवा बस बूथ बता दू, हम चल एतेक दूर आ गेलि ह त वोट अपने से जा के गिराएम… बद्री के साहस को देखकर हर कोई हतप्रभ था कि बिना पैर के उन्होंने कैसे इतनी दूरी रेंगते हुए तय कर ली.
लोकतंत्र की जननी वैशाली में हुई जमकर वोटिंग
लोकतंत्र की जननी और भगवान महावीर की जन्मभूमि वैशाली में जमकर वोटिंग हुई. महिलाओं व बुजुर्ग वोटर का उत्साह देखते ही बन रहा था. वोटिंग के बाद लोग बौद्ध स्तूप और अशोक स्तंभ के भ्रमण पर भी गये. इतिहास के अनुसार वैशाली जहां ईसा से 725 वर्ष पूर्व लिच्छवी गणतंत्र विकसित हुआ था. यहां शासक जनता के प्रतिनिधियों द्वारा चुने जाते थे. इसी ने दुनिया को लोकतंत्र का पाठ पढ़ाया.