WB News : संदेशखाली पहुंचा राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का प्रतिनिधिमंडल, घर-घर जाकर स्थानीय लोगों से की बात
एनएचआरसी ने कहा कि उसने पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को नोटिस जारी कर संदेशखाली में हुई हिंसा के संबंध में चार सप्ताह में रिपोर्ट देने के लिए कहा है. भाजपा नेता ने कहा कि ‘धर्मनिरपेक्ष पार्टियां’ चुप हैं क्योंकि वे वोट बैंक की राजनीति के खिलाफ महिलाओं की शिकायतों को मापती हैं.
पश्चिम बंगाल के संदेशखाली (Sandeshkhali) पहुंची राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की एक टीम. महिलाओं के यौन उत्पीड़न के आरोपों के बारे में तथ्य जुटाने के लिए ग्रामीणों से बात की. उत्तर 24 परगना जिले के संदेशखाली में बड़ी संख्या में लोगों ने तृणमूल कांग्रेस के नेता शाहजहां शेख और उनके समर्थकों पर “जमीन हड़पने व यौन उत्पीड़न” का आरोप लगाया है. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की टीम संदेशखाली में कुछ इलाकों में गई और ग्रामीणों से बात कर उनके बयान दर्ज किए. एनएचआरसी ने पहले एक बयान में कहा था कि टीम का नेतृत्व आयोग का एक सदस्य करेगा और अधिकारी उसकी मदद करेंगे.
संदेशखाली में हुई हिंसा के संबंध में चार सप्ताह में रिपोर्ट देने का निर्देश
मानवाधिकार आयोग की टीम नाव से कालागाछी नदी पार करने के बाद धमाखाली नौका घाट से होते हुए संदेशखाली पहुंची. एनएचआरसी ने प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में आईं खबरों पर स्वत: संज्ञान लिया है, जिनमें कहा गया है कि संदेशखाली में गरीब महिलाओं को कथित तौर पर परेशान किया गया और उनका यौन उत्पीड़न किया गया. एनएचआरसी ने कहा कि उसने पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को नोटिस जारी कर संदेशखाली में हुई हिंसा के संबंध में चार सप्ताह में रिपोर्ट देने के लिए कहा है.
संदेशखाली मामला दर्शाता है कि सनातम धर्म को मिटाने का अभियान है विपक्ष का: भाजपा
भारतीय जनता पार्टी ने पश्चिम बंगाल, कर्नाटक और तमिलनाडु में कथित तौर पर हिंदुओं को निशाना बनाए जाने को लेकर शुक्रवार को विपक्षी दलों पर निशाना साधा और दावा किया कि इससे साबित होता है कि ‘सनातन धर्म’ को मिटाने का दावा महज एक बयान नहीं बल्कि एक अभियान है. भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने अपनी पार्टी के नेताओं को संकटग्रस्त संदेशखाली जाने की अनुमति नहीं देने और स्थानीय तृणमूल नेता शाहजहां शेख को गिरफ्तार नहीं करने पर तृणमूल कांग्रेस सरकार पर भी निशाना साधा. यह केवल पश्चिम बंगाल सरकार की ओर उसे (शेख को) बचाए जाने के बारे में ही नहीं है बल्कि यह एक खास मानसिकता है जो कुछ लोगों के ‘धर्मनिरपेक्ष संरक्षण’ में विश्वास करती है, भले ही वे अपराध और अत्याचार क्यों न करें.उन्होंने कहा कि ‘धर्मनिरपेक्ष पार्टियां’ चुप हैं क्योंकि वे वोट बैंक की राजनीति के खिलाफ महिलाओं की शिकायतों को मापती हैं.