राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल सपरिवार पैतृक गांव पहुंचे, कुलदेवी की पूजा-अर्चना की
उत्तराखंड : भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल शनिवार को पौड़ी गढ़वाल जिला स्थित अपने पैतृक गांव घीड़ी पहुंचे. यहां उन्होंने पत्नी और परिवार के अन्य सदस्यों के साथ नवरात्रि के आठवें दिन यानी अष्टमी तिथि के मौके पर गांव के मंदिर में कुलदेवी मां बालकुमारी देवी की पूजा-अर्चना की.
उत्तराखंड : भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल शनिवार को पौड़ी गढ़वाल जिला स्थित अपने पैतृक गांव घीड़ी पहुंचे. यहां उन्होंने पत्नी और परिवार के अन्य सदस्यों के साथ नवरात्रि के आठवें दिन यानी अष्टमी तिथि के मौके पर गांव के मंदिर में कुलदेवी मां बालकुमारी देवी की पूजा-अर्चना की.
Uttarakhand: National Security Advisor Ajit Doval reached his village Ghiri in Pauri Garhwal district today.
He along with his wife and other family members offered prayers at a temple at his village, on the eighth day (Ashtami) of Navratri today. pic.twitter.com/ASYWQ5waeO
— ANI (@ANI) October 24, 2020
मालूम हो कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल अपनी पत्नी के साथ निजी दौरे पर शनिवार की सुबह अपने पैतृक गांव घीड़ी पहुंचे. यहां पहुंचने पर ग्रामीणों ने ढोल बजाते हुए फूल-माला पहना कर स्वागत किया. इसके बाद उन्होंने पत्नी के साथ गांव के मंदिर में कुलदेवी की पूजा-अर्चना की.
अजीत डोभाल करीब ढाई घंटे तक गांव में रुके. इस दौरान उन्होंने गांव के लोगों के बातचीत भी की. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बनने के बाद तीसरी बार गांव पहुंचे अजीत डोभाल ने पैतृक घर को देखते हुए उसे बनाने की इच्छा जतायी. साथ ही कहा कि जल्द ही मकान का नक्शा तैयार कर लिया जायेगा.
ग्रामीणों के साथ चाय की चुस्कियों के साथ बातचीत करते हुए उन्होंने गांव के मंदिर के पास एक गेस्ट हाउस बनाये जाने की भी बात कही. वहीं, ग्रामीणों ने गांव तक सड़क, स्वास्थ्य सुविधा की बेहतरी और शिक्षा-व्यवस्था को मजबूत किये जाने की मांग की.
मालूम हो कि इससे पहले एनएसए अजीत डोभाल गुरुवार को सपरिवार ऋषिकेश के परमार्थ निकेतन पहुंचे थे. यहां उन्होंने निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती के साथ शुक्रवार को प्रातःकालीन प्रार्थना और नवरात्रि की सप्तमी तिथि पर आयोजित हवन में भाग लिया था. इसके बाद पैतृक गांव घीड़ी जाने के दौरान ज्वाल्पा देवी मंदिर में भी पूजा-अर्चना की थी.