बिहार की नदियों में प्रदूषण को लेकर NGT सख्त, छह हफ्ते में सभी डीएम की मांगी रिपोर्ट..
Bihar News: बिहार में गंगा समेत अन्य नदियों के प्रदूषण की स्थिति को लेकर NGT ने सख्ती दिखाई है और डीएम से रिपोर्ट तलब किया है.
बिहार में गंगा सहित उसकी सहायक नदियों के प्रदूषण की स्थिति को लेकर दिल्ली के नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने सख्ती दिखायी है. एनजीटी की प्रिंसिपल बेंच ने बिहार सरकार को निर्देश दिया है कि वह छह हफ्ते के भीतर सभी 38 जिलों के डीएम से नदियों के प्रदूषण की स्थिति पर रिपोर्ट लेकर सूचित करें, अन्यथा मुख्य सचिव की व्यक्तिगत हाजिरी की नोटिस दी जा सकती है.
अदालत की सुनवाई में क्या हुआ..
एमसी मेहता बनाम केंद्र सरकार व अन्य से संबंधित रिट याचिका पर एनजीटी अध्यक्ष जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव, न्यायिक सदस्य जस्टिस सुधीर अग्रवाल और विशेषज्ञ सदस्य डॉ ए सेंथिल वेल की बेंच के समक्ष हुई सुनवाई में पाया गया कि बिहार के तीन जिलों दरभंगा, बक्सर और कटिहार ने संबंधित रिपोर्ट दी है. लेकिन इसमें वह तथ्य नहीं हैं, जो ट्रिब्यूनल द्वारा मांगे गये हैं.
बिहार सरकार के वकील ने कहा..
बिहार सरकार के वकील ने कहा कि कई डीएम ने राज्य सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है, जिसकी जांच की गयी. ट्रिब्यूनल के निर्देशानुसार सभी डीएम से अपेक्षित पूर्ण रिपोर्ट छह सप्ताह के भीतर प्राप्त की जायेगी और सारणीबद्ध जानकारी के साथ उन रिपोर्टों को छह सप्ताह के भीतर ट्रिब्यूनल के समक्ष रखा जायेगा.
20 जिलों के डीएम ने दी थी अधूरी रिपोर्ट
सुनवाई के दौरान बिहार सरकार द्वारा 17 फरवरी, 2024 को दायर रिपोर्ट में बताया गया कि 38 में से 20 जिलों ने अपेक्षित डेटा जमा कर दिया है. हालांकि, समीक्षा में पता चला कि इन 20 जिलों ने भी अधूरी जानकारी दी है. इनके द्वारा प्रस्तुत की गयी कुछ जानकारी भी गलत है. इसको देखते हुए ट्रिब्यूनल बेंच ने आवश्यक जानकारी के साथ जिलाधिकारियों की रिपोर्ट भी ट्रिब्यूनल के समक्ष दाखिल किये जाने का निर्देश दिया. बेंच ने कहा कि यदिट्रिब्यूनल के समक्ष पूरी अपेक्षित जानकारी प्रस्तुत नहीं की जाती है, तो हम बिहार के मुख्य सचिव को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का निर्देश दे सकते हैं.
गंगा के अंदर बन रहे एसटीपी पर भी मांगी रिपोर्ट
बहस के दौरान आवेदक के वकील ने बूढ़ी गंडक नदी की दयनीय स्थिति, नदी के घाटों पर कचरे की स्थिति, नदी के काले पानी में कचरा और खुले नाले को दर्शाने वाली कुछ तस्वीरें भी पेश कीं. इसमें दिखाया गया कि किस तरह गंदा पानी सीधे नदी में गिराये जाने से नदियों का रंग बदल गया है. आवेदक ने पटना में जेपी सेतु के पास नदी के बीच में संबंधित अधिकारियों द्वारा बनाये जा रहे सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) की भी जानकारी दी. इस पर बेंच ने तीन दिनों के भीतर विवरण के साथ इन तस्वीरों को रिकॉर्ड में दर्ज करने की अनुमति दी. बिहार सरकार की रिपोर्ट के आधार पर मामले की अगली सुनवाई एक, मई 2024 को होगी.