Bhubaneswar News: बीजू जनता दल (बीजद) के एक प्रतिनिधिमंडल ने नयी दिल्ली में पर्यावरण और जनजातीय मामलों के मंत्रालयों के शीर्ष अधिकारियों से मुलाकात की और उन्हें आंध्र प्रदेश की पोलावरम सिंचाई परियोजना से ओडिशा के मलकानगिरी जिले के मूल निवासियों की आजीविका, भूमि तथा हितों पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभावों से अवगत कराया. पार्टी ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी. दल ने बुधवार को केंद्रीय अधिकारियों से मुलाकात की. पूर्व मंत्री और वरिष्ठ नेता देवी प्रसाद मिश्रा के नेतृत्व में बीजद के प्रतिनिधिमंडल ने मंगलवार को राष्ट्रीय राजधानी में केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल से भी मुलाकात की और उन्हें पड़ोसी राज्य में बहुउद्देश्यीय परियोजना के निर्माण के कारण मलकानगिरी में बड़े क्षेत्रों के जलमग्न होने की आशंका से अवगत कराया गया.
वनस्पतियों तथा जीव-जंतुओं सहित विशाल वन को संरक्षित किया जाये
टीम ने केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन सचिव लीना नंदन से मुलाकात की और उन्हें एक ज्ञापन सौंपकर पोलावरम परियोजना से ओडिशा के आदिवासी बहुल मलकानगिरी जिले में वनस्पतियों तथा जीवों को हो रहे नुकसान से अवगत कराया. बीजद ने ज्ञापन में कहा कि पोलावरम परियोजना, मलकानगिरी जिले के लोगों के लिए गंभीर पर्यावरणीय खतरा है. ओडिशा की क्षेत्रीय पार्टी ने मंत्रालय से आग्रह किया कि वह चिंताओं पर गंभीरता से विचार करे और यह सुनिश्चित करे कि वनस्पतियों तथा जीव-जंतुओं सहित विशाल वन को संरक्षित किया जाये.
बीजद अध्यक्ष ने तथ्योन्वेषी समिति का किया था गठित
बीजद प्रतिनिधिमंडल ने यह भी दावा किया कि इस परियोजना के कारण मलकानगिरी के मोटू और पाडिया ब्लॉक के अंतर्गत आदिवासियों के 200 से अधिक गांव जलमग्न हो जायेंगे. समिति ने जनजातीय मामलों के मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव नवलजीत कपूर और राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (एनसीएसटी) के अध्यक्ष अंतर सिंह आर्य से भी मुलाकात की. बीजद ने एक बयान में कहा कि इस परियोजना की परिकल्पना गोदावरी जल विवाद न्यायाधिकरण (जीडब्ल्यूडीटी) के प्रस्ताव के तहत की गयी थी, जिसमें आंध्र प्रदेश, ओडिशा और मध्य प्रदेश के बीच समझौतों की रूपरेखा थी. इससे पहले, बीजद अध्यक्ष नवीन पटनायक ने एक तथ्योन्वेषी समिति गठित की थी, जिसने मलकानगिरी जिले के विभिन्न क्षेत्रों का दौरा किया और परियोजना के संभावित प्रभाव पर एक रिपोर्ट तैयार की.
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