राउरकेला. आलू के बढ़ते दाम से परेशान आम लोगों को राहत देने के लिए राज्य आपूर्ति विभाग के निर्देश पर राज्य के पांच महानगरों राउरकेला, कटक, भुवनेश्वर, ब्रह्मपुर और संबलपुर में आलू 33 रुपये प्रति किलो का दर से बेचा जा रहा है. पहले चरण में राउरकेला महानगर निगम (आरएमसी) के तहत 12 नियंत्रण दुकानों में आलू की बिक्री शुरू हो गयी है. कंट्रोल दुकानदार तीन किलो आलू 100 रुपये में बेच रहे हैं. छेंड़ कॉलोनी, बसंती कॉलोनी, फर्टिलाइजर, पानपोस, आइटीआइ, सेक्टर-20, सेक्टर-7, सेक्टर-8, सेक्टर-6 और 14 एरिया की कंट्रोल दुकानों को डेढ़ क्विंटल आलू दिया गया है. कम कीमत पर आलू नहीं मिलने के कारण कंट्रोल दुकानों में ग्राहकों की भीड़ देखी गयी. आने वाले दिनों में आपूर्ति विभाग की मदद से अन्य कंट्रोल दुकानदारों को भी आलू की आपूर्ति की जायेगी. कंट्रोल के दुकानदारों ने थोक बाजार से 30 रुपये प्रति किलो के हिसाब से लंबे आलू खरीदे और उन्हें 33 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बेचा. आपूर्ति विभाग के मुताबिक एक ग्राहक कंट्रोल दुकान से एक बार में तीन किलो आलू खरीद सकता है.
बैठक में कालाबाजारी पर अंकुश लगाने पर हुई चर्चा
इस बीच आलू की बढ़ी कीमतों को लेकर शनिवार की सुबह 11:30 बजे आपूर्ति विभाग कार्यालय में समीक्षा बैठक हुई. जिला आपूर्ति पदाधिकारी की अध्यक्षता में हुई बैठक में राउरकेला सहायक आपूर्ति पदाधिकारी, शहर के थोक आलू व्यवसायी सहित कंट्रोल दुकानदार उपस्थित थे. कालाबाजारी पर अंकुश लगाने, उपभोक्ताओं को उचित मूल्य पर आलू उपलब्ध कराने पर विस्तृत चर्चा हुई. जिला आपूर्ति पदाधिकारी ने विभागीय अधिकारियों को ऊंचे दाम पर आलू बेचने वाले थोक व खुदरा व्यापारियों पर कार्रवाई करने का निर्देश दिया है.
आलू मिशन की विफलता के कारणों का पता लगाये सरकार: विजय पटनायक
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्य सचिव विजय पटनायक ने राज्य में आलू संकट को लेकर राज्य सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने पिछली सरकार ने आलू मिशन के नाम पर सरकारी खजाने से करोड़ों रुपये खर्च किये जाने की बात कहते हुए इसकी जांच कराने की मांग की है. कहा कि इस बात की जांच करनी चाहिए कि पिछली सरकार के दौरान आलू मिशन क्यों फेल हुआ. उन्होंने कहा कि 2016 में बीजद सरकार ने आलू मिशन बनाया था. सरकारी खजाने से करोडों रुपये खर्च किये गये. लेकिन यह सफल नहीं हुआ. प्रबंधन की त्रुटियों के कारण आलू मिशन विफल हुआ. बीजड सरकार ने सरकारी कोल्ड स्टोरेज बंद कर दिये. निजी कोल्ड स्टोरेज मालिकों और किसानों के बीच कोई समन्वय नहीं था. इसकी जांच होनी चाहिए.
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