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Jharsuguda News: डिजिटल अरेस्ट कर 34 लाख ठगी मामले में गुजरात से चार गिरफ्तार

Jharsuguda News: झारसुगुड़ा पुलिस ने अंतरराज्यीय साइबर ठगी गिरोह के चार सदस्यों को गुजरात से गिरफ्तार किया है. इनके पास से 14 लाख रुपये रिकवर हुए हैं.

By Prabhat Khabar News Desk | November 23, 2024 12:05 AM
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Jharsuguda News: झारसुगुड़ा पुलिस ने एक अंतरराज्यीय साइबर ठगी गिरोह का पर्दाफाश करते हुए गुजरात से चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है. एक पीड़ित ने मई, 2024 में डिजिटल अरेस्ट कर उसके खाते से 34 लाख रुपये ठगी की शिकायत झारसुगुड़ा थाना में दर्ज करायी थी. बताया कि ठगी की यह वारदात मई-2024 में हुई थी. इस मामले में गुजरात के सूरत निवासी शाहरुख उमर खटीक (27), शरद सुकलाल माली उर्फ अजय (25), राहिल शेख (24) और मालेक शाहरुख हनीफ ईशा (26) को गिरफ्तार किया गया है.जानकारी के अनुसार, जगदीश कराभाई भारद्वाज ने इस साल मई में झारसुगुड़ा सदर पुलिस में एक शिकायत दर्ज करायी थी. इसमें उन्होंने कहा था कि आरोपी व्यक्तियों ने खुद को एक कानून प्रवर्तन एजेंसी का अधिकारी बताते हुए कहा कि वह मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में शामिल है. साथ ही आरोपियों ने जगदीश को डिजिटल अरेस्ट होने की जानकारी दी. इसके बाद डरा-धमकाकर दो चरणों में बैंक लेनदेन के माध्यम से उसके बैंक खाते से 34 लाख रुपये निकाल लिये. शिकायत के बाद एक जांच शुरू की गयी और झारसुगुड़ा साइबर सेल पिछले पांच महीनों से मामले पर नजर रख रहा था.

20 सेल फोन, तीन लैपटाप, पर्सन कंप्यूटर व दो लाख नकद जब्त

डिजिटल साक्ष्य के व्यापक विश्लेषण और गहन वित्तीय जांच के बाद पुलिस ने संदिग्धों पर ध्यान केंद्रित किया और उन्हें गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में ट्रेस किया. इसके बाद, विभिन्न स्थानों पर कई छापे मारे गये. इसके बाद इन चार आरोपियों को गुजरात से गिरफ्तार कर लिया गया. इन आरोपियों के पास से 20 सेल फोन, तीन लैपटाप, इतने ही पर्सनल कंप्यूटर और दो लाख रुपये नकद जब्त किये गये. इसके अलावा करीब 17 लाख रुपये फ्रीज किये जाने की प्रक्रिया जारी है. 14 लाख रुपये शिकायतकर्ता के बैंक खाते में वापस लौटाये गये हैं. पुलिस टीम ने सूरत में आरोपियों के एक कार्यालय को भी सील कर दिया है.

खुद को बताते थे कानून प्रवर्तन एजेंसी का अधिकारी

झारसुगुड़ा एसपी स्मित पी परमार ने कहा कि आरोपियों ने अकेले रहने वाले और बैंक में काफी पैसे जमा रखने वाले कमजोर बुजुर्ग जोड़ों को निशाना बनाया. उन्होंने खुद को कानून प्रवर्तन एजेंसियों के वरिष्ठ अधिकारियों के रूप में पेश किया और कभी-कभी पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों के रूप में पीड़ित को धमकाया. उन्होंने कहा कि आरोपियों ने पीड़ित को यह कहकर धमकाया कि वे मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में शामिल हैं और अगर उन्होंने तुरंत जवाब नहीं दिया, तो कोई भी उनकी मदद नहीं कर पायेंगे. उन्होंने पीड़ित से कहा कि अब उन्हें ‘डिजिटल गिरफ्तारी’ के तहत रखा गया है. खुद को बचाने के लिए पीड़ित को उनका कहना मानना होगा. आरोपियों ने पीड़ित से संपर्क करने के लिए स्काइप कॉल का इस्तेमाल किया. उन्होंने सैकड़ों लोगों की यूपीआइ (गूगल पे और फोन पे) आइडी वाली एक्सेल शीट भी तैयार की थी. जैसे ही उनके बैंक खातों में पैसे जमा हुए, उन्होंने तुरंत इसे सैकड़ों खातों में छोटे-छोटे हिस्सों में ट्रांसफर कर दिया. एसपी ने कहा कि आगे की जांच जारी है. आइपीसी की धारा 419, 420 और आईटी एक्ट की धारा 66-डी के तहत मामला दर्ज किया गया है.

कोई भी जांच एजेंसी नागरिकों से वीडियो कॉल पर संपर्क नहीं करती : आइजी

पश्चिमांचल आइजी हिमांशु कुमार लाल ने कहा कि डिजिटल गिरफ्तारी के शिकार सभी वर्ग और उम्र के लोग हैं. इस तरह की धोखाधड़ी के कारण लोगों ने अपनी मेहनत की कमाई गंवाई है. कोई भी जांच एजेंसी कभी भी किसी नागरिक से फोन या वीडियो कॉल पर संपर्क नहीं करती. लोग इस तरह की कॉल आने पर सतर्क और सावधान रहें. किसी को भी कानून प्रवर्तन एजेंसी का अधिकारी होने का दिखावा करने वाले किसी व्यक्ति का कॉल आने पर घबराना नहीं चाहिए. आइजी ने कहा कि लोगों को ऐसी कॉल का जवाब देने से पहले दो बार सोचना चाहिए और साइबर हेल्पलाइन 1930 या Cybercrime.gov.in के जरिए भी मामले की रिपोर्ट करनी चाहिए.

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