झारसुगुड़ा : चुनावी ड्यूटी में लगे 700 से अधिक वाहन चालक मतदान करने से रह गये वंचित
आम चुनाव-2024 के लिए झारसुगुड़ा में 20 मई को मतदान हुआ. लेकिन इस चुनाव में 700 से अधिक वाहन चालक मतदान करने से वंचित रह गये. यह सभी चुनावी ड्यूटी में नियोजित थे.
झारसुगुड़ा. आम चुनाव-2024 के लिए झारसुगुड़ा में 20 मई को मतदान हुआ. लेकिन इस चुनाव में 700 से अधिक वाहन चालक मतदान करने से वंचित रह गये. यह सभी चुनावी ड्यूटी में नियोजित थे. ये वाहन चालक केवल मतदान करने से ही वंचित नहीं हुए हैं, बल्कि मतदान को बीते पांच दिन हो चुके हैं और उनका भुगतान भी अभी तक नहीं मिला है. गाड़ी चालक एक ओर तो अपने मताधिकार का उपयोग नहीं कर पाये, वहीं दूसरी ओर उनको उनका पैसा नहीं मिलने से उनमें दोहरी नाराजगी देखी जा रही है.
केवल 45 वाहन चालकों ने पोस्टल बैलेट से किया था मतदान
झारसुगुड़ा में चुनावी ड्यूटी में लगे मात्र 45 चालकों ने ही पोस्टल बैलेट से मतदान किया है. गौरतलब है कि चालू वर्ष आम चुनाव में चालकों के लिए पोस्टल बैलेट का इंतजाम किया गया था. मगर जागरूकता के अभाव में कुछ चालकों ने इसके लिए फॉर्म तो लिया, मगर जमा नहीं कर पाये. इस बार जिला प्रशासन की ओर से रिटर्निंग ऑफिसर के लिए 534 व पुलिस विभाग के लिए 227 वाहनों की आवश्यकता थी. इसके लिए आंचलिक परिवहन विभाग ने 1071 गाड़ी को चुना था. इनमें से 800 वाहन चुनावी कार्य में नियोजित किये गये थे. जिसमें बोलेरो, स्कॉर्पियो जैसी सेवन सीटर गाड़ी की संख्या 578 थी. इसके अलावा 60 विंगर व ट्रैवेलर, 42 मिनी बस, 39 बस एवं 34 ट्रक शामिल थे. उक्त सभी वाहन 19 तारीख की सुबह जिला प्रशासन व पुलिस विभाग के पास रिपोर्ट कर 20 मई की रात लौटे थे. जिला प्रशासन की ओर से झारसुगुड़ा के वाहन चालकों को लखनपुर, बेलपहाड़ के गाड़ी चालकों को किरमिरा भेजा गया था. जिससे वे लोग अपने घरों से दूर रहने के कारण मताधिकार का प्रयोग ही नहीं कर सके.
वाहन चालकों को नहीं किया गया जागरूक
झारसुगुड़ा चालक एसोसिएशन से बात करने पर उन्होंने कहा कि चुनाव जैसे महत्वपूर्ण कार्य में नियोजित सभी लोगों को पोस्टल बैलेट दिये जाने खुद जिला प्रशासन ने घोषणा की थी. मगर पोस्टल बैलेट से कैसे वोटिंग करनी है, इसके बारे में ना तो चालकों को बताया गया और ना ही उन्हें अवगत कराया गया. चालकों को मतदान के पहले दिन ही पोलिंग बूथ भेज दिया गया था. मतदान खत्म होने के बाद इवीएम को स्ट्रांग रूम तक पहुंचाने के बाद ही रात को चालकों को छुट्टी मिली. इसी कारण करीब 700 चालक अपने मतदान के अधिकारी से वंचित रह गये.
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