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Rourkela News: बसंती कॉलोनी में कोचिंग जा रहे बच्चे को कुत्तों ने दौड़ाया, साइकिल से गिरकर घायल

Rourkela News: स्मार्ट सिटी में आवारा कुत्तों का आतंक बढ़ता जा रहा है, बच्चों से लेकर बड़ों तक को कुत्ते काटकर घायल कर रहे हैं.

Rourkela News: स्मार्ट सिटी राउरकेला में आवारा कुत्तों का आतंक बढ़ता जा रहा है. शहर के विभिन्न अंचलों में रोजाना दर्जनों लोगों को आवारा कुत्ते काट कर घायल कर रहे हैं. पीड़ितों में स्कूली बच्चे, महिलाएं और आम नागरिक शामिल हैं. आवारा कुत्तों से सड़क पर पैदल चलने से लेकर वाहन चालक वाले परेशान हैं. बसंती कॉलोनी में रविवार शाम ट्यूशन जा रहे एक बच्चे को आवारा कुत्ते ने दौड़ाकर काट लिया. जिससे यह बच्चा इतना डर गया है कि घर से बाहर निकलने का भी साहस नहीं कर पा रहा है.

लेबर चौक के पास हुई घटना, परिजनों में नाराजगी

बसंती कॉलोनी का एक 10 वर्षीय बच्चा रविवार शाम अपने घर से साइकिल लेकर ट्यूशन पढ़ने निकला था. लेबर चौक के पास करीब आधा दर्जन कुत्तों ने उसे दौड़ाया और वह गिर कर घायल हो गया. उसकी साइकिल भी क्षतिग्रस्त हो गयी. बच्चे के सिर, हाथ और पैर में चोटें आयी हैं तथा उसकी आंख बाल-बाल बची. अंचल के लोगों ने इसकी सूचना बच्चे के माता पिता को दी. वे मौके पर पहुंचे और बच्चों को इलाज के लिए राजस्थान सेवा सदन अस्पताल ले गये, जहां उसकी मरहम पट्टी की गयी. इस घटना के बाद बच्चा बुरी तरह से डरा हुआ है तथा घर से बाहर निकलने से मना कर रहा है. वहीं बच्चे के पिता ने इसकी सूचना जब राउरकेला महानगर निगम के आयुक्त आशुतोष कुलकर्णी को दी, तो उन्होंने जरूरी कदम उठाने का आश्वानस दिया. बच्चे के पिता ने आवारा कुत्तों को पकड़ने की तत्काल कार्रवाई की मांग की है. उन्होंने सुझाव दिया है कि अभियान चलाकर इन कुत्तों को पकड़कर शहर से दूर घने जंगलों में छोड़ा जाये, जिससे नागरिकों में व्याप्त भय का माहौल कम हो सके.

राउरकेला सरकारी अस्पताल में रोज आ रहे 60 से अधिक मामले

राउरकेला सरकारी अस्पताल में रोजाना कुत्तों के काटने की घटना में घायल 60 से अधिक लोग इलाज कराने पहुंच रहे हैं. इसका समाधान करने के लिए चार साल पहले राउरकेला महानगर निगम की ओर से एबीसी (एनिमल बर्थ कंट्रोल) कार्यक्रम शुरू किया गया था. जिससे इस समस्या का कुछ हद तक समाधान हो सका था. लेकिन इसके बाद पुन: स्थिति जस की तस हो गयी है. आरएमसी प्रबंधन की ओर से बताया जा रहा है कि एबीसी कार्यक्रम के लिए टेंडर निकालने के बाद भी यह काम करने के लिए कोई संस्था आगे नहीं आ रही है. जिससे इसका स्थायी समाधान नहीं निकल पा रहा है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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