Rourkela News : हाथियों ने 71 महीनों में 2,235 घरों को ध्वस्त किया
हाथियों का आशियाना उजाड़ने का खामियाजा भुगत रही बड़ी आबादी
बणई, सुंदरगढ़ व राउरकेला वन क्षेत्र में मचाया उत्पातहाथियों का आशियाना उजाड़ने का खामियाजा भुगत रही बड़ी आबादी
Rourkela News : जंगलों की अंधाधुंध कटाई और लगातार किये जा रहे खनन कार्य से हाथियों का प्राकृतिक आशियाना उजड़ रहा है. इसकी बड़ी कीमत आबादी को चुकाना पड़ रहा है. क्योंकि हाथी जंगलों से निकलकर मानव बस्ती का रुख कर रहे हैं. फसल नष्ट करने से लेकर घरों को तोड़ रहे हैं. ऐसी घटनाएं अब आम हो गयीं हैं. वन विभाग अबतक इस दिशा में कोई प्रभावी कदम नहीं उठा पाया है जिससे ऐसे हादसों को रोका जा सके. आदर्श स्थिति यह है कि हाथी जंगलों में रहें जहां उनके लिए अनुकूल वातावरण हो, पर्याप्त भोजन और पानी की व्यवस्था हो और इंसान अपने इलाके में रहे. लेकिन एक-दूसरे ( हाथी व मानव) के इलाके में घुसपैठ ने दोनों तरफ नुकसान को इस कदर भयावह कर दिया है कि हालात दिनोंदिन बदतर होते जा रहे हैं.बढ़ता जा रहा है गजराज का उत्पात :
जंगलों से निकल कर भोजन की तलाश में हाथी शहरों, गांवों और बस्तियों का रुख कर रहे हैं. यहां आकर किसानों की कई एकड़ धान की फसलें और सब्जी की फसलें नष्ट कर रहे हैं. वे न केवल चावल और सब्जियां नष्ट कर रहे हैं, बल्कि मध्य रात्रि में गांवों और बस्तियों में घुसकर घरों को नष्ट कर अनाज खा जा रहे हैं. हाथियों के हमले के कारण कई परिवार अपना घर खो रहे हैं. कुछ परिवारों के घर आंशिक रूप से या पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गये हैं. सुंदरगढ़ जिले के बणई, सुंदरगढ़ और राउरकेला के तीन वन क्षेत्रों में हाथियों का उत्पात साल दर साल जारी है. हाथियों ने पिछले 71 महीनों (नवंबर 2019 से नवंबर 2024) में 2,235 घरों को ध्वस्त कर दिया. इसका मतलब यह है कि हाथी हर महीने जिले में 32 घरों को नष्ट कर रहे हैं. ध्वस्त 2,235 मकानों में से 676 मकान पूरी तरह ध्वस्त हो गये, 1,159 घर आंशिक रूप से और 50% क्षतिग्रस्त हुए हैं. वन विभाग प्रभावित परिवारों को मुआवजा देने और कार्य पूरा करने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान कर रहा है, लेकिन आज तक वे जिले के आबादी वाले क्षेत्रों से हाथियों के झुंडों को भगाने में पूरी तरह विफल रहे हैं.बणई और राउरकेला वन क्षेत्र में सबसे ज्यादा घटनाएं:
हाथियों ने बणई और राउरकेला के जंगलों में सबसे अधिक घरों को नष्ट किया है. अपनी जान पर खतरा देख कई परिवार घर छोड़कर रिश्तेदारों और मित्रों के यहां शरण लेने को मजबूर हैं. राउरकेला वन क्षेत्र में 2019 में हाथियों के हमले से 31 घर नष्ट हो गये, 2020 में 21, 2021 में 62, 2022 में 65, 2023 में 20 और नवंबर 2024 के अंत तक चार घर नष्ट हुए. इसी प्रकार, 2019 में 78 घर आंशिक रूप से और 50% क्षतिग्रस्त हुए, 2020 में 69, 2021 में 110, 2022 में 40, 2023 में 157 और 2024 में 136 घर क्षतिग्रस्त हुए. बणई वनखंड में 2019 में 46 घर, 2020 में 29, 2021 में 72, 2022 में 107, 2023 में 21 और 2024 में 3 घर पूरी तरह से ध्वस्त हो गये. 2019 में 95 घर, 2020 में 29 घर, 2021 में 87 घर, 2022 में 128 घर, 2023 में 296 घर और 2024 में 162 घर ध्वस्त किये गये. वर्ष 2019 में सुंदरगढ़ जंगल में अधिकतम 180 घर पूरी तरह से ध्वस्त हो गए. 2021 में एक घर, 2022 और 2023 में पांच-पांच घर तथा 2024 में चार घर ध्वस्त किये. 2019 में 29 घर 50% तक ध्वस्त कर दिए गये, 2021 में 9, 2022 में 23, 2023 में 23 और 2024 में 39 घर 50% तक ध्वस्त कर दिए गये.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है