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Rourkela News: आदिवासी मुख्यमंत्री की आड़ में आदिवासियों के अधिकारों का हो रहा हनन : प्रफुल्ल सामंतरा

Rourkela News: पर्यावरणविद व सामाजिक कार्यकर्ता ने जल, जंगल व जमीन की सुरक्षा की मांग पर 24 जनवरी को संबलपुर में आंदोलन की चेतावनी दी है.

Rourkela News: प्रसिद्ध पर्यावरणविद व सामाजिक कार्यकर्ता प्रफुल्ल सामंतरा ने शनिवार को कहा कि सूबे में आदिवासी चेहरे को मुख्यमंत्री बनाकर आदिवासियों के अधिकारों का हनन किया जा रहा है. श्री सामंतरा सेक्टर-8 स्थित गांगपुर मजदूर मंच के कार्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि पिछले छह माह में भाजपा की सरकार ने ऐसा कुछ भी नहीं किया है, जिससे आदिवासियों के हितों की रक्षा होती हो. उल्टे अंधाधुंध औद्योगीकरण व बिना सोचे-समझे खदानों में खनन से आदिवासियों को जल, जंगल व जमीन के अधिकार से वंचित करने का कुचक्र रचा जा रहा है. मौके पर उनके साथ युवा पर्यावरणविद व सामाजिक कार्यकर्ता अल्बर्ट किंडो, बिबाल टोप्पो भी उपस्थित थे.

अनुसूचित अंचल में ग्राम सभा के अधिकारों का हो रहा उल्लंघन

प्रफुल्ल सामंतरा ने कहा कि छह माह पहले सत्ता में आयी भाजपा ने चालाकी के साथ एक आदिवासी नेता को मुख्यमंत्री बनाकर आदिवासी जनमानस में मिथ्या आदिवासी अस्मिता का कुचक्र रचा है. हकीकत यह है कि पहले नवीन पटनायक की सरकार में जिस तरह से आदिवासियों के अस्तित्व व अस्मिता की रक्षा के लिए संविधान की धारा 244 (1) व पंचम अनुच्छेद,पेसा कानून, जंगल अधिकार कानून-2006, जमीन अधिग्रहण कानून-2013 की धारा 41 में उल्लेखित अनुसूचित अंचल में ग्राम सभा के अधिकारों का उल्लंघन होता रहा, वैसा ही इस नयी सरकार में भी हो रहा है.

संबलपुर आरडीसी कार्यालय के सामने किया जायेगा प्रदर्शन

राज्य के सभी आदिवासी बहुल अनुसूचित अंचलों में विभिन्न निजी कंपनियों को असंवैधानिक व अवैध तरीके से खदान लीज पर दिया जा रहा है. यदि ऐसा ही चलता रहा तो यहां से खदान संपदा से लेकर प्राकृतिक संपदा भी जल्द ही खत्म हो जायेंगे. इसके विरोध में आगामी 24 जनवरी काे संबलपुर में विशाल सम्मेलन ( जन समावेश) का आयोजन किया जा रहा है. वहां सुबह दस बजे एक रैली निकालकर आरडीसी कार्यालय पहुंचकर प्रदर्शन किया जायेगा तथा मुख्यमंत्री के उद्देश्य से ज्ञापन सौंपा जायेगा.

इन संगठनों ने आंदोलन काे सफल बनाने की अपील की

ग्राम सभा समिति राजगांगपुर व सुंदरगढ़, लोक मुक्ति संगठन झारसुगुड़ा, जिंदाबाद संगठन बलांगीर जय किसान आंदोलन बरगढ़, पश्चिम ओडिशा विस्थापित सहायता समिति, सहारा पावर प्लांट विरोधी मंच टिटिलागढ़, जमीन-जंगल मुक्ति आंदोलन नुआपाड़ा, लोअर सुकतेल संग्राम परिषद बलांगीर, लोअर इंद्र सहायता समिति, खडिआल कंकड़ाजोर बुड़ी चल सहायता समिति बांकेल टिटिलागढ़, खंडाधार सुरक्षा समिति सुंदरगढ.

इन मांगों काे लेकर होना है सम्मेलन व प्रदर्शन

-पश्चिम ओडिशा के गंधमार्दन पवर्तमाला में खदान खनन को अवैध घाेषित करने के लिए विधानसभा में प्रस्ताव पारित कर केंद्र सरकार कानून बनाये

-असंवैधानिक, अवैध व पेसा कानून व ग्राम सभा के अनुमोदन के बिना नीलाम सभी खदानों का लीज रद करने व विकास परियोजना के लिए खेती जमीन, प्राकृतिक जलाशय, झरना व जंगल को अधिग्रहण से अलग रखा जाये.

-लोअर सुकतेल प्रोजेक्ट से विस्थापित प्रत्येक परिवार को न्याय समेत पश्चिम ओडिशा के विविध जलसिंचाई प्रोजेक्ट, प्लांट, खदान के लिए विस्थापित परिवारों को उचित मुआवजा समेत पुनर्वास योजना में शामिल हो.

-जंगल अधिकार कानून के अनुसार आदिवासी व पारंपरिक जंगलवासियों को व्यक्तिगत व समूह जंगल अधिकार को स्वीकृति मिले.

-भू-सुधार कानून को कड़ाई से लागू करने के साथ-साथ प्रत्येक भूमिहीन गरीब परिवार को दस डिसमिल जमीन का पट्टा समेत खेती के लिए खेती जमीन प्रदान की जाये.

-कंपनियों के जहरीले प्रदूषण से पर्यावरण को मुक्त रखा जाये व प्रदूषण करनेवाले कंपनियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो.

-बाहर के राज्यों में काम करनेवाले श्रमिकों को शोषण व उत्पीड़न से मुक्त कर अपने-अपने गांव में रोजगार देने की पहल हो.

-जन आंदोलन के नेता व कार्यकर्ताओं के खिलाफ किये गये सभी झूठे मुकदमे वापस लिये जायें.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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