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‘ओडिशा को हर साल हो रहा 10 हजार करोड़ का नुकसान’, सांसद पात्रा ने राज्यसभा में की ये मांग

बीजू जनता दल के राज्यसभा सांसद डॉ सस्मित पात्रा ने आज सदन में 12 सालों से लंबित कोयला रॉयल्टी का मुद्दा उठाया. इस दौरान सांसद पात्रा ने कहा कि देश के करोड़ों घरों तक बिजली पहुंचाने वाले ओडिशा को हर साल 10 हजार करोड़ का नुकसान होता है.

By Kunal Kishore | July 29, 2024 9:22 PM

ओडिशा से बीजू जनता दल के राज्यसभा सांसद सस्मित पात्रा ने राज्यसभा में केंद्र सरकार से ओडिशा के लिए कोयला रॉयल्टी में संशोधन करने की मांग की है. राज्यसभा सांसद सस्मित पात्रा ने शून्यकाल में ओडिशा के लिए कोयला रॉयल्टी में संशोधन करने की मांग करते हुए कहा कि पिछले 12 सालों से यह लंबित है. इससे ओडिशा को हर साल 10 हजार करोड़ का नुकसान होता है.

बीजेडी सांसद सस्मित पात्रा ने राज्यसभा में उठाया कोयला रॉयल्टी का मुद्दा

राज्यसभा सदस्य सस्मित पात्रा ने राज्यसभा में बोला कि ओडिशा देश के उन शीर्ष दो राज्यों में है जो देश में सबसे ज्यादा कोयला उत्पादन करते हैं. ओडिशा के कोयला की वजह से देश में ऊर्जा उत्पादन हो पाता है. लेकिन यह अत्यंत दुखद  है कि देश की बिजली उत्पादन, ऊर्जा सुरक्षा और कोयला उत्पादन में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले ओडिशा के 12 वर्षों से लंबित कोयला रॉयल्टी की मांग पूरी नहीं हुई है.

ओडिशा को हर साल होता है 10 हजार करोड़ का नुकसान

सस्मित पात्रा ने आगे कहा कि कोयला रॉयल्टी की मांग पूरी नहीं होने से हर साल ओडिशा को 10 हजार करोड़ का नुकसान उठाना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि ओडिशा की कोयला रॉयल्टी में संशोधन पिछली बार 10 मई 2012 को हुआ था. इसके बाद 2014 में कोयला रॉयल्टी पर संशोधन करने के लिए एक कमेटी का गठन किया था. लेकिन कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि कोयला रॉयल्टी में संशोधन नहीं हो सकता.

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ओडिशा के कोयला की वजह से देश के करोड़ों घरों को मिल रही बिजली

बीजेडी सांसद ने कहा कि ओडिशा के कोयले की वजह से देश के करोड़ों घरों में बिजली पहुंचती है. लेकिन फिर भी ओडिशा के लोगों को हर साल 10 हजार करोड़ का नुकसान उठाना पड़ता है. उन्होंने पर्यावरण पर कोयला खनन के दुष्परिणामों पर ध्यान खींचते हुए कहा कि कोयला खनन के कारण ओडिशा की हवा प्रदूषित होती है. राज्य का पानी दूषित हो जाता है. कोयला ढोने में इस्तेमाल होने वाले हजारों ट्रकों के कारण राज्य की सड़कें टूट जाती है जिसका राज्य की बुनियादी ढांचे पर असर पड़ता है.

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