Rourkela News : बीएसएल कंपनी में काम बंद आंदोलन जारी, समाधान के लिए प्रबंधन ने सामूहिक प्रयास पर दिया जोर

बिरमित्रपुर बीएसएल कंपनी में मजदूरों का काम बंद आंदोलन सोमवार को 11वें दिन में पहुंच गया है. कंपनी का उत्पादन बंद होने से लाखों रुपयों का नुकसान हो रहा है. इसके लिए मजदूर नेताओं ने जहां प्रबंधन की उदासीनता को जिम्मेदार ठहराया है.

By Prabhat Khabar News Desk | January 13, 2025 11:30 PM

Rourkela News : बिरमित्रपुर बीएसएल कंपनी में मजदूरों का काम बंद आंदोलन सोमवार को 11वें दिन में पहुंच गया है. कंपनी का उत्पादन बंद होने से लाखों रुपयों का नुकसान हो रहा है. इसके लिए मजदूर नेताओं ने जहां प्रबंधन की उदासीनता को जिम्मेदार ठहराया है. वहीं कंपनी प्रबंधन की ओर से आशंका जतायी गयी है कि यदि यह आंदोलन लंबा चला तो इस कंपनी का हश्र भी पुरनापानी माइंस की भांति हो सकता है. साथ ही इसके समाधान के लिए सामूहिक प्रयास पर जाेर दिया गया है.

सौ सालों से चल रहा बिसरा स्टोन एंड लाइम कंपनी का खनन कार्य

: बिरमित्रपुर में बिसरा स्टोन एंड लाइम कंपनी का चूना पत्थर और डोलोमाइट खनन 100 वर्षों से अधिक समय से चल रहा है. इसकी शुरुआत 1910 में हुई थी. उस समय यह बर्ड एंड के लिमिटेड के नियंत्रण में था. वर्ष 1980 में केंद्र सरकार ने इस कंपनी का अधिग्रहण कर लिया. परिणामस्वरूप बिरमित्रपुर शहर का तेजी से विकास हुआ. इस खदान से उत्पादित चूना पत्थर और डोलोमाइट को विभिन्न संयंत्रों को बेचा जाता है और प्राप्त राशि का उपयोग श्रमिकों और कर्मचारियों के वेतन तथा स्थानीय विक्रेताओं और आपूर्तिकर्ताओं को भुगतान करने में किया जाता है. अब इस आंदोलन के कारण कंपनी को नुकसान होने से इसके बंद होने की आशंका प्रबंधन ने जतायी है. कंपनी प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से लगभग 10,000 लोगों को रोजगार देती है. प्रारंभ में कंपनी में 18,000 लोग कार्यरत थे, लेकिन वर्तमान में 331 श्रमिक, 11 अधिकारी और 8 संविदा अधिकारी हैं. इस कंपनी की सैलरी करीब 15 महीने, ग्रेच्युटी 9 से 10 करोड़, सोसाइटी पेंशन करीब 90 लाख और एलआइसी करीब 30 लाख रुपये का बकाया है. लेकिन अगस्त 2020 से अब तक चार साल हो चुके हैं और हर महीने मिलने वाली सैलरी में मामूली सुधार हुआ है. इसी तरह कारोबार बढ़ाने के लिए दो महीने पहले स्थानीय सांसद और केंद्रीय मंत्री जुएल ओराम से मुलाकात के बाद रेलवे ने कच्चा माल ले जाने वाली ट्रेनों की संख्या प्रतिमाह 15 से बढ़ाकर 20-22 ट्रेनें करने का वादा किया था. अब इस पर भी रोक लगा दी गयी है. इसी बीच अब बकाया वेतन समेत अन्य मांगों को लेकर मजदूरों ने काम बंद आंदोलन शुरू कर दिया है. परिणामस्वरूप, कच्चे माल की आवाजाही बाधित होगी. वहीं आंदोलन चलने से वेतन मिलने में भी बाधा आ सकती है. वहीं दूसरी ओर, यदि बीएसएल की ओर से विभिन्न कंपनियों को सेल और आरआइएनएल के साथ किये गये समझौतों के अनुसार कच्चा माल नहीं मिलता है तो वे अन्य स्रोतों से कच्चा माल प्राप्त करने का प्रयास कर सकते हैं. जिससे कंपनी पुनः संकटग्रस्त स्थिति में जा सकती है.

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