Odisha News: भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) ने राज्य सरकार से मंजूरी मिलने के बाद 18 सितंबर को पुरी के श्रीमंदिर में रत्न भंडार का प्रारंभिक निरीक्षण और तकनीकी सर्वेक्षण निर्धारित किया है. श्रीमंदिर प्रशासन को तदनुसार सूचित कर दिया गया है. परिणामस्वरूप, सर्वेक्षण की सुविधा के लिए 18 सितंबर को पुरी जगन्नाथ मंदिर में सार्वजनिक दर्शन अस्थायी रूप से बंद रहेगा. श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन के मुख्य प्रशासक डॉ अरविंद पाढ़ी ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि एएसआइ अधिकारियों ने सूचित किया है कि अतिरिक्त महानिदेशक (संरक्षण) और सीएसआइआर-एनजीआरआइ (राष्ट्रीय भूभौतिकीय अनुसंधान संस्थान) के विशेषज्ञों के नेतृत्व में एक टीम इस आने वाले सप्ताह में श्री जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार का प्रारंभिक निरीक्षण और तकनीकी सर्वेक्षण करेगी. श्रीमंदिर प्रशासन के अधिकारियों और संबंधित सेवायतों के साथ चर्चा के बाद सरकार द्वारा अनुमोदित एसओपी के अनुसार, 18 सितंबर को निरीक्षण करने का निर्णय लिया गया है. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) मंदिर के रत्न भंडार का प्रारंभिक निरीक्षण करने के कारण जगन्नाथ मंदिर 18 सितंबर को दोपहर 1 बजे से श्रद्धालुओं के लिए बंद रहेगा, ताकि वे सुचारु रूप से अपना कार्य कर सकें.
पहले ही खाली कराया जा चुका है रत्न भंडार
इससे पहले राज्य सरकार द्वारा स्वीकृत एसओपी के अनुसार, बाहरी और भीतरी रत्न भंडार से सभी आभूषणों को अस्थायी स्ट्रांग रूम में स्थानांतरित कर दिया गया है और खाली अलमारियों और संदूकों को हटा लिया गया है. श्री मंदिर प्रशासन ने एएसआइ से अनुरोध किया है कि रखरखाव और मरम्मत कार्य के दौरान मंदिर को किसी भी तरह का नुकसान न पहुंचे, इसके लिए सभी आवश्यक सावधानियां बरती जायें. श्रीमंदिर के मुख्य प्रशासक ने भी एएसआइ से आग्रह किया है कि वह रत्न भंडार के संरक्षण और मरम्मत के काम में तेजी लायें. इसके लिए व्यापक आधुनिक और तकनीकी मूल्यांकन के बाद अत्याधुनिक तकनीकों और विशेषज्ञ व्यावसायिकता का उपयोग करते हुए समय पर काम पूरा करने का आग्रह किया है.
लोहे की कढ़ाई में महाप्रसाद पकाने के मामले में मुख्य प्रशासक ने मांगी रिपोर्ट
श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (एसजेटीए) के मुख्य प्रशासक डॉ अरविंद कुमार पाढ़ी ने भगवान जगन्नाथ को अर्पित किये जाने वाले पवित्र महाप्रसाद को पारंपरिक मिट्टी के बजाय लोहे की बर्तन में पकाने के आरोपों की जांच शुरू कर दी है. उन्होंने इस मामले में एक सप्ताह के भीतर विस्तृत रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है. जांच रिपोर्ट में महाप्रसाद बनाने में कथित तौर पर इस्तेमाल की गयी लोहे की ‘कड़ाही’ को शामिल किये जाने का निर्देश दिया है. सुआर, महासुआर, रोशपाइक नियोग और रोश अमीन को इस निर्देश को लागू करने का काम सौंपा गया है. इसके अतिरिक्त, पाट्टजोशी महापात्र, तलिछा महापात्र और देउलकरन की तीन सदस्यीय टीम मामले की जांच के लिए श्रीमंदिर रोशाशाला (रसोई) का व्यापक निरीक्षण करेगी. मुख्य प्रशासक श्री पाढ़ी ने कहा कि पारंपरिक प्रथाओं से किसी भी तरह का विचलन बर्दाश्त नहीं किया जायेगा और श्री जगन्नाथ मंदिर की सांस्कृतिक विरासत को हर कीमत पर संरक्षित किया जायेगा.
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