Rourkela News : सेल, राउरकेला इस्पात संयंत्र के प्लेट मिल के डायनेमिक क्वालिटी सर्किल समूह ने ग्रूव रोल गियरबॉक्स ब्रिज विफलता के कारण देरी का उन्मूलन नामक अभिनव परियोजना के माध्यम से देरी को खत्म कर दिया है. इससे उत्पादन, निष्पादन और उत्पादकता में वृद्धि हुई है. प्लेट मिल में स्लैब को मिल में भेजने के लिए 12 ग्रूव रोल पर निर्भर करती है, जिसमें से प्रवेश पक्ष पर एक निष्क्रिय रोल सहित आठ रोल होते है और चार रोल डिलीवरी पक्ष पर होते हैं. ये ग्रूव रोल तीन गियरबॉक्स द्वारा संचालित होते हैं. डायनेमिक क्वालिटी सर्किल समूह ने देखा कि मिल के वर्क रोल के पास स्थित ग्रूव रोल गियरबॉक्स-2 इन इनपुट और आउटपुट दोनों गियर को नुकसान पहुंचता था, जिसके परिणामस्वरूप देर हो जाती थी और गियरबॉक्स को परिचालन स्थिति में बहाल करने में 10 से 12 घंटे लग जाते थे. जांच करने पर, डायनेमिक क्यूसी समूह में शामिल उप प्रबंधक (फैसिलिटेटर), एस के स्वाईं, एमओएमटी (समूह लीडर), जेसी बिसोई, ओसीटी (डिप्टी लीडर), के बेरिक, ओसीटी, आरपी हेम्ब्रोम, ऑपरेटर, एसके बेहरा एसीटी, एस साहू और एसीटी आनंद एक्का ने पाया कि गियरबॉक्स के अंदर दोनों पूलों के बाहरी हिस्से दीवारों से जुड़े थे, लेकिन आंतरिक पक्षों में ऊर्ध्वाधर सहारा की कमी थी. इसका समाधान करने के लिए टीम ने ब्रिजों के बीच खाली जगहों में फिट करने के लिए दो प्लेटें, प्रत्येक 20 मिमी मोटी, काटी, फिर इन प्लेटों को पुलों और गियरबॉक्स के निचले हिस्से में लंबवत रूप से गढ़ा और वेल्ड किया गया, जिससे दो अलग-अलग ब्रिज प्रभावी रूप से एक एकल, मजबूत संरचना में बदल गये. इस संशोधन से सुनिश्चित हो गया है कि मिल से आने वाला कोई भी असमान भार ब्रिजों के बीच समान रूप से वितरित हो, जिससे तनाव बिंदुओं को रोका जा सके जो पहले जोड़ाई में दरार पैदा करते थे. इस अभिनव पहल के परिणामस्वरूप ब्रिज की विफलताओं के कारण होने वाली देरी को पूरीतरह से समाप्त कर दिया गया है.
स्वयं सहायता समूह के 20 सदस्यों को मिला मशरूम की खेती का प्रशिक्षण
राउरकेला इस्पात संयंत्र (आरएसपी) के सीएसआर की ओर से 3 और 4 सितंबर को पर्श्वांचल विकास संस्थान (आइपीडी)) में मशरूम की खेती का प्रशिक्षण दिया गया. महाप्रबंधक (एचआर) जी आर दाश ने समापन सत्र पर प्रशिक्षुओं को प्रमाण पत्र सौंपा. लाठीकटा ब्लॉक के बिरकेरा और देगाघाट गांव के स्वयं सहायता समूह के 20 सदस्यों ने प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग लिया. प्रशिक्षुओं को मशरूम की खेती की सैद्धांतिक व व्यावहारिक जानकारी दी गयी. प्रशिक्षण के बाद प्रत्येक प्रशिक्षु को अपने-अपने यहां खेती करने और दूसरों को इसके लिए प्रेरित करने के लिए स्वनिर्मित मशरुम उगाने का किट बैग और मशरुम के बीज की एक बोतल दी गयी. सीएसआर के मास्टर ट्रेनर टी भेंगरा और बी एक्का ने दलपोश गांव के सुमन स्वयं सहायता समूह की प्रशिक्षित मशरुम खेती प्रशिक्षण प्रशिक्षक कमला टोप्पो के साथ मिलकर प्रशिक्षण सत्र का संचालन किया. महाप्रबंधक (सीएसआर) मुनमुन मित्रा ने कार्यक्रम की रूपरेखा और उद्देश्य के बारे जानकारी दी. बी एक्का ने कार्यक्रम का संचालन किया . प्रबंधक (सीएसआर) ऋचा सुद्धिरम ने सीएसआर टीम के साथ कार्यक्रम का समन्वय किया.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है