एनएचएआइ ने जिलाधिकारी को लिखा पत्र, कहा-ईब सेतु हुआ कमजोर, भारी वाहनों को डायवर्ट करें

एनएचएआइ ने झारसुगुड़ा और संबलपुर के जिलाधीश को पत्र लिख कर ईब सेतु से भारी वाहनों को डायवर्ट करने का सुझाव दिया है.

By Prabhat Khabar News Desk | July 27, 2024 11:11 PM

झारसुगुड़ा. राष्ट्रीय राजमार्ग-49 पर स्थित ईब सेतु दिनों-दिन दुर्बल होता जा रहा है. भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) ने राष्ट्रीय राजपथ-49 के झारसुगुड़ा-कनकतुरा मार्ग पर ईब नदी पर वर्षों पहले बने इस ब्रिज पर अब भारी वाहनों की आवाजाही पर रोक लगाने के साथ ही उन्हें रंपेला से होकर डायवर्ट करने की अनुशंसा की है. इसके बाद से ही लोगों में इसे लेकर चिंता देखी जा रही है. साथ ही अंतरराज्यीय भारी वाहन किस रास्ते से होकर रंपेला सेतु से आवागमन करेंगे, यह समझ से परे है.

एनएचएआइ का प्रस्ताव जिला प्रशासन के लिए परेशानी का सबब बना

रंपेला सेतु राष्ट्रीय राजपथ-49 से जोड़ने वाले रास्ते के बीच बेलपहाड़, गुमाडेरा, बंदबहाल, दलगांव, कुम्हारबंध से जुड़े लंबे रास्ता सहित ब्रजराजनगर, कोदोपाली से होते हुए बादीमाल दलगांव को जोड़ता है. राष्ट्रीय राजमार्ग-49 पर आवागमन करने वाले भारी वाहनों को उक्त सभी रास्तों से होकर चलने को लेकर अनुमति दिया जाना खतरों को आमंत्रित करने जैसा होगा. वहीं राष्ट्रीय राजमार्ग-49 पर आवागमन करने वाले भारी वाहनों को ईब सेतु से आवागमन के लिए मना कर उन्हें डायवर्ट करने का कोई वैकल्पिक रास्ता नहीं होने से एनएचएआइ का प्रस्ताव जिला प्रशासन के लिए परेशानी का सबब बन गया है. वहीं एक अन्य रास्ता लखनपुर के पास बागमुंडा-नुआबंध चौक से बुढ़ासाहाज चौक से बंदबहाल रास्ता को जोड़ता है. लेकिन यह रास्ता भी संकरा है. इसके किनारे कई गांव बसे हैं. इसलिए कौन से रास्ते से भारी वाहन जायेंगे, इसे लेकर सवाल उठने लगे हैं.

ओडिशा-छत्तीसगढ़ को जोड़ने वाला मुख्य मार्ग होगा बाधित

एनएचएआइ की ओर से ईब सेतु की दुर्बल अवस्था को देखते हुए झारसुगुड़ा व संबलपुर के जिलाधीश को पत्र लिख कर भारी वाहनों को डायवर्ट करने का प्रस्ताव रखा गया है. जिसके बाद से आम लोग भी प्रतिक्रियाशील हो उठे हैं. लोगों का कहना है कि सरकार ईब सेतु के विकल्प सेतु निर्माण के लिए अनदेखी करती आ रही है. जिस प्रकार से ईब सेतु लगातार दुर्बल होता जा रहा है. वह कभी भी झारसुगुड़ा व ब्रजराजनगर के बीच सड़क संपर्क टूटने का कारण बन सकता है. वहीं ओडिशा-छत्तीसगढ़ के बीच यह राजपथ दोनों राज्य के शिल्प संस्थाओं के लिए कोयला परिवहन व अन्य कच्चे माल एवं तापज विद्युत से निकलने वाली राख (फ्लाई एस) के परिवहन का मुख्य मार्ग है.

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