Sambalpur News: संबलपुर स्थित गंगाधर मेहर विश्वविद्यालय में पहला विश्व भारती सम्मेलन संपन्न हो गया है. इसमें राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के वक्ताओं ने हिस्सा लेकर कहा कि द्वितीय बुद्ध के तौर पर स्वीकृति पाने वाले अष्टम शताब्दी के विशिष्ट बौद्ध धर्मगुरु पद्म संभव का जन्म ओडिशा के प्राचीन शहर संबलपुर में हुआ था, जिसे उड्डियान के नाम से भी जाना जाता था. भारती समाज की ओर से गंगाधर मेहर विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के सहयोग से आयोजित सम्मेलन का संबलपुर विधायक जयनारायण मिश्र ने उद्घाटन किया था. इस अवसर पर दक्षिणी अमरीकी देश फिजी के निवासी तथा भारती समाज के अंतरराष्ट्रीय संयोजक पंडित देवेंद्र दत्त शर्मा, प्रवीण शर्मा, यूएइ भारती समाज के संयोजक नीपन भोई, गंगाधर मेहर विश्वविद्यालय के कुल सचिव डॉ उमाचरण पति, रेंगाली के पूर्व विधायक नाउरी नायक विशेष अतिथि के तौर पर शामिल हुए.
2025 में एक व दो दिसंबर को होगा अधिवेशन
अतिथियों ने पश्चिम ओडिशा में बौद्ध धर्म के इतिहास पर अपना वक्तव्य रखने के साथ स्वदेशी कला, संस्कृति के संरक्षण को अहम बताया. पहले अधिवेशन का संचालन भारती समाज के राष्ट्रीय संयोजक डॉ प्रमोद रथ ने किया. द्वितीय अधिवेशन का गंगाधर मेहर विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के प्रमुख डॉ अतुल कुमार प्रधान ने संचालन किया. भारती समाज के संयोजक भवानीशंकर भोई ने आगामी वर्ष (2025 में) एक और दो दिसंबर को भारती समाज का दो दिवसीय अधिवेशन किये जाने को लेकर सूचना दी. पश्चिमांचल एकता मंच के संयोजक मानस रंजन बक्सी ने धन्यवाद ज्ञापन किया. आयोजन में भारती समाज और पश्चिमांचल एकता मंच के सदस्यों ने सहयोग किया.
ओडिशा के उदयगिरी में सुरक्षित है गुरु पद्म संभव का पवित्र देहावशेष
इस अवसर पर आयोजित कार्यशाला में भुवनेश्वर से पधारे डॉ प्रवीर पटनायक ने कहा कि गुरु पद्म संभव का पवित्र देहावशेष ओडिशा के उदयगिरी स्थित माधवपुर महाविहार में अभी भी सुरक्षित रखा हुआ है. डॉ अनीता साबत ने विभिन्न तर्कों और तथ्यों के आधार पर गुरु पद्म संभव का जन्म संबलपुर में होने का दावा किया. संबलपुर शहर के जानेमाने इतिहासकार दीपक पंडा ने भी अपने विचार व्यक्त किये. चित्रकार मनोज चौधरी द्वारा बनाये गये गुरु पद्म संभव के चित्र का अतिथियों ने विमोचन किया.
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