Rourkela News: एनआइटी राउरकेला के स्कूल ऑफ मैनेजमेंट ने एआइसीटीइ द्वारा अनुमोदित अटल फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम के तहत छह दिवसीय ‘अर्थवाइज: ट्रांसफॉर्मिंग क्लाइमेट एक्शन एंड सस्टेनेबिलिटी फॉर बेटर टुमॉरो’ का आयोजन किया गया. 10 से 15 फरवरी तक चलनेवाले इस आयोजन में विशेषज्ञों ने अपने विचार साझा किये.
एनआइटी राउरकेला में उठाये गये कदमों की जानकार दी
एनआइटी राउरकेला के रजिस्ट्रार प्रो रोहन धीमान इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए और उपस्थित जनसमूह को इस आयोजन का अधिकतम लाभ उठाने के लिए प्रेरित किया. उन्होंने विकसित भारत 2047 की परिकल्पना पर प्रकाश डालते हुए, स्वास्थ्य, शिक्षा और पर्यावरणीय स्थिरता के क्षेत्रों में सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को प्राप्त करने के लिए प्रभावी रणनीतियों को अपनाने की आवश्यकता पर बल दिया. उन्होंने एनआइटी राउरकेला में एक हरित और स्थायी परिसर विकसित करने के लिए उठाये गये कदमों पर चर्चा की और इसे और अधिक पर्यावरण-अनुकूल बनाने की अपनी परिकल्पना साझा की. उनके संबोधन ने शिक्षा और संस्थागत विकास में स्थिरता को शामिल करने के महत्व को दोहराया, जो भारत के समृद्ध और पर्यावरण-अनुकूल भविष्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.
पूरे देश से 100 से अधिक शिक्षकों और शोधकर्ताओं ने लिया हिस्सा
एआइसीटीइ ट्रेनिंग एंड लर्निंग अकादमी की ओर से प्रायोजित इस कार्यक्रम में पूरे भारत के कॉरपोरेट पेशेवरों, शिक्षकों, शोधकर्ताओं और स्नातकोत्तर छात्रों के लिए विभिन्न महत्वपूर्ण और उभरते क्षेत्रों में प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए एक उत्कृष्ट मंच है. 10 फरवरी को विभाग ने इस कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र का आयोजन किया, जिसमें पूरे देश से 100 से अधिक शिक्षकों और शोधकर्ताओं ने वर्चुअल रूप से भाग लिया. उद्घाटन समारोह की शुरुआत स्कूल ऑफ मैनेजमेंट, एनआइटी राउरकेला के सहायक प्रोफेसर और कार्यक्रम समन्वयक डॉ मनवेंद्र प्रताप सिंह के उद्घाटन भाषण से हुई. उन्होंने जलवायु अनुकूलता की मौजूदा आवश्यकता को रेखांकित किया. बताया कि पर्यावरण, सामाजिक और शासन (इएसजी) सिद्धांत दीर्घकालिक स्थिरता की नींव रखते हैं, लेकिन इएसजी रेटिंग में असंगतता, ग्रीनवॉशिंग और वैश्विक स्थिरता मानकों की विविधता के कारण इसके कार्यान्वयन में चुनौतियां बनी हुई हैं. पर्यावरणीय स्थिरता को प्रभावी रूप से लागू करने के लिए ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी, कार्बन न्यूट्रलिटी और ऊर्जा दक्षता बढ़ाने की आवश्यकता है, जिसे नीतिगत निर्णयों और कॉर्पोरेट जवाबदेही के माध्यम से हासिल किया जा सकता है. ग्रीन बॉन्ड्स और इम्पैक्ट इन्वेस्टिंग जैसे स्थायी वित्तीय साधन जलवायु अनुकूल अवसंरचना और नवाचार को समर्थन देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. इसके अलावा, एआइ-आधारित जलवायु मॉडल, कार्बन कैप्चर तकनीक और नवीकरणीय ऊर्जा नवाचारों का उपयोग जलवायु शमन प्रयासों में तेजी ला सकता है.स्वच्छ, हरित और आत्मनिर्भर भारत के निर्माण की प्रतिबद्धता को दोहराया
कार्यक्रम के सह-संयोजक, स्कूल ऑफ मैनेजमेंट के अध्यक्ष और विभागाध्यक्ष प्रो चंदन कुमार साहू ने विकसित भारत की अवधारणा को रेखांकित करते हुए सतत विकास में इसकी प्रमुख भूमिका पर जोर दिया. उन्होंने प्रदूषण नियंत्रण, निम्न-कार्बन औद्योगीकरण और हरित नवाचार की आवश्यकता को रेखांकित किया, जिससे स्थायी विकास को बढ़ावा मिले. उन्होंने आर्थिक प्रगति और पर्यावरणीय उत्तरदायित्व के बीच संतुलन बनाये रखने की आवश्यकता पर बल दिया और नवीकरणीय ऊर्जा तथा पर्यावरण अनुकूल नीतियों को अपनाने की आवश्यकता पर जोर दिया. उनका दृष्टिकोण एक स्वच्छ, हरित और आत्मनिर्भर भारत के निर्माण के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है.नियामक अनुपालन, नैतिक एआइ और उभरते रुझानों पर विशेष ध्यान दिया गया
कार्यक्रम के पहले दिन डेटा गवर्नेंस, जोखिम मूल्यांकन और सुरक्षा नियंत्रण के इएसजी पर प्रभाव पर चर्चा की गयी. सत्र में नियामक अनुपालन, नैतिक एआइ और उभरते रुझानों पर विशेष ध्यान दिया गया. इसके अलावा, उत्सर्जन में कमी, नवीकरणीय ऊर्जा की ओर संक्रमण और बैंकिंग क्षेत्र में इएसजी सिद्धांतों के एकीकरण पर चर्चा हुई. इस सत्र में जोखिम शमन, नीतिगत ढांचे, और वित्तीय संस्थानों की जलवायु अनुकूलता व सतत वित्त को बढ़ावा देने में भूमिका को भी रेखांकित किया गया. चर्चा का मुख्य उद्देश्य निजता-केंद्रित डेटा प्रथाओं को अपनाना और डिजिटल भविष्य को जिम्मेदार बनाना था. उद्घाटन सत्र में विभाग के छात्रों, शोधार्थियों और शिक्षकों के साथ-साथ प्रतिभागियों की भी अच्छी संख्या में उपस्थिति रही. सत्र के समापन पर कार्यक्रम के छात्र समन्वयक ने आगामी सत्रों के कार्यक्रम का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत किया और सभी उपस्थितजनों को उनके बहुमूल्य समय और योगदान के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है