राउरकेला. बिरमित्रपुर से झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के पूर्व विधायक निहार सुरीन ने बीजद में योगदान दिया था. लेकिन अब बीजद से मोहभंग होने के बाद उन्होंने अपनी मूल पार्टी झामुमो का दामन थाम लिया है. सोमवार को वे अपने समर्थकों के साथ झारखंड की राजधानी रांची के मोराबादी स्थिति झामुमो के संस्थापक गुरुजी शिबू सोरेन के आवास पर पहुंचे. उन्होंने अपने समर्थकों के साथ झामुमो में शामिल होने की घोषणा की. इस दौरान गुरुजी समेत झामुमो के अन्य नेताओ ने उनका स्वागत किया गया. इसके साथ ही बिरमित्रपुर विधानसभा सीट से निहार सुरीन को झामुमो का उम्मीदवार बनाये की संभावना प्रबल हो गयी है.
बीजद में आदिवासी-मूलवासी को नहीं मिलता सम्मान : निहार सुरीन
रांची में झामुमो में वापसी करने के बाद निहार सुरीन ने बताया कि बीजद में जाने के बाद वहां पर उनका दम घुटने लगा था. बीजद में आदिवासी व मूलवासी नेताओं काे कोई सम्मान नहीं मिलता, बल्कि आदिवासियों को महज वोट बैंक समझा जाता है. वहीं चुनाव आने के दौरान बीजद के बड़े नेता नैतिकता को परे रखकर टिकट बेचने का काम करते हैं. जिससे क्षुब्ध हाेकर उन्होंने बीजद से इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने बताया कि बिरमित्रपुर के आदिवासी व अल्पसंख्यकों के हितों की सुरक्षा के लिए उन्होंने झामुमो की ओडिशा प्रदेश अध्यक्ष अंजनी सोरेन के पास झामुमो में वापसी करने को लेकर आग्रह पत्र दिया था. इस पर ओडिशा कमेटी, सुंदरगढ़ जिला कमेटी ने गंभीर विचार-विमर्श करने के बाद उनकी झामुमो में वापसी को लेकर केंद्रीय कमेटी को अनापत्ति पत्र सौंपा था.
2004 में जॉर्ज तिर्की को हराया था
सोमवार को रांची के मोराबादी स्थित गुरुजी शिबू सोरेन के आवास पर ओडिशा प्रदेश अध्यक्ष अंजनी सोरेन, वरिष्ठ झामुमो नेता लेथा तिर्की, अमित शर्मा, पातरस एक्का, जीतू महताे की उपस्थिति में निहार सुरीन ने अपने समर्थकों के साथ झामुमो का दामन थामा. विदित हो कि 2004 के विधानसभा चुनाव में झामुमो के टिकट पर चुनाव लड़कर निहार सुरीन ने जॉर्ज तिर्की को हराया था.