पहाड़ी भूमि पर उगाया हरा सेब , यू ट्यूब से ली प्रेरणा, सरकारी सहायता का इंतजार

राजगांगपुर ब्लॉक के बुचकु पाड़ा निवासी इंजीनियर बिरंची लकड़ा का कमाल

By Prabhat Khabar News Desk | June 12, 2024 11:03 PM

सुनील अग्रवाल, , कहावत है कि परिश्रम का फल मीठा होता है. इस कहावत को चरितार्थ किया है राजगांगपुर ब्लॉक के बुचकु पाड़ा में रहने वाले एक सेवानिवृत्त इंजीनियर बिरंची लकड़ा ने.अकसर देखा गया है की सेब की खेती ठंडे जलवायु में होती है लेकिन राजगांगपुर के 40 डिग्री तापमान वाली वह भी पहाड़ी भूमि पर हरे सेब की फसल तैयार कर एक अजूबा कर दिखाया है बिरंची लकड़ा ने. उन्होंने सेब की खेती की एक नई संभावना को जन्म दिया है. विदित हो कि बिरंची लकड़ा पेशे से इंजीनियर हैं.वर्ष 2022 में राज्य जल संसाधन विभाग से सेवानिवृत्त होने के बाद वे अपने गांव की मिट्टी में खेती के प्रति आकर्षित हुए और कुछ अद्वितीय प्रयास करने का फैसला किया..जिसका उनकी इंजीनियर बेटी ने उनका साथ दिया. अपनी बेटी की बातों से प्रेरित होकर विभिन्न प्रकार की खेती में सफल होने के उद्देश्य से उन्होंने अपने ही खेतों पर खेती शुरू करने की ठान ली. शुरुआत में उन्होंने टमाटर सहित अन्य सब्जियों की पैदावार की तथा सफल रहे.जिसके बाद उन्होंने यू ट्यूब पर सेव की खेती के बारे में कुछ जानकारी प्राप्त की तथा प्रयोग के तौर पर हरे सेब की खेती करने का फैसला लिया .जो सफल रहा तथा आगे दूसरों के लिए भी प्रेरणास्रोत होगा. करीब एक साल पहले उन्होंने इस पर शोध किया तथा अपने बगीचे में सेब का पौधा लगाया था.एचआरएमएन – 99 अन्ना पिंक लेडी प्रजाति के 70 पौधे उन्होंने ऑनलाइन ऑर्डर कर मंगवाए थे. प्रत्येक पौधे की कीमत 400 से 500 रुपए पड़ी थी.पिछले साल भारी वर्षा में कुछ पौधों के मर जाने से उन्हें थोड़ा दुःख भी हुआ था.बचे हुए पौधों की काफी देखभाल की.रासायनिक खाद की जगह जैविक खाद का इस्तेमाल किया. करीब 15 से 16 महीनों की मेहनत तथा देखभाल के बाद बिरंची की मेहनत अब रंग लाई है.पौधे अब बड़े हो फल देने लगे हैं.खास बात यह है कि इसकी पैदावार ऑफ सीजन में होने के कारण फसल की कीमत भी ज्यादा मिलती है.अब उन्होंने डेढ़ एकड़ की जमीन पर 250 से 300 पौधों को लगाया है.आशा है कि आने वाले पांच वर्षों में यह सेब का बगीचा पूरी तरह तैयार हो जाएगा तथा नए प्रयोगों के साथ अधिक पैदावार करने में सफल होंगे तथा रोजगार का साधन बनाने में सफल होंगे.बिरंची लकड़ा एक सफल किसान बन गए हैं. सेब के अलावा टमाटर व अन्य सब्जियों की खेती के साथ साथ खेत में एक तालाब बना कर मछली की खेती भी कर रहे हैं.यूं तो इस काम में घर के हर सदस्य का किसी ना किसी प्रकार का सहयोग रहा है.लेकिन उन्होंने अपनी इस सफलता का श्रेय अपनी धर्मपत्नी सत्यभामा लाकड़ा को दिया है.उनकी इस सफलता को देख स्थानीय अन्य लोग भी प्रेरणा लेकर खेती को बढ़ावा दे स्वावलंबी होंगे, ऐसा उनका मानना है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Next Article

Exit mobile version