Bhubaneswar News: रबी-2024 सीजन में आलू की खेती के क्रियान्वयन पर एक उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक शुक्रवार को कृषिभवन में आयोजित हुई. उप मुख्यमंत्री कनक वर्धन सिंहदेव ने इसकी अध्यक्षता की. उन्होंने कहा कि ओडिशा सरकार आलू उत्पादन में आत्मनिर्भर बनने के लिए अपनी प्रतिबद्धता पर अडिग है. यह पहल कृषि उत्पादकता को बढ़ाने, किसानों की आर्थिक समृद्धि में योगदान करने और राज्य की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. उन्होंने राज्य सरकार की व्यापक आलू खेती की प्रतिबद्धता को दोहराया, जिसे खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है. इस पहल को राज्य की ‘आलू, सब्जी और मसाले विकास’ योजना के तहत लागू किया गया है, जिसके तहत रबी-2024 में 15,023 हेक्टेयर भूमि पर आलू की खेती का महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया गया है. इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए 1,95,299 क्विंटल प्रमाणित आलू बीज की आवश्यकता है.
राज्य बीज निगम लिमिटेड को 1,79,476 क्विंटल बीजों की आपूर्ति की जिम्मेदारी सौंपी गयी
ओडिशा राज्य बीज निगम लिमिटेड को प्रमाणित बीजों की आपूर्ति की जिम्मेदारी सौंपी गयी है, जिसमें से 1,79,476 क्विंटल बीज पहले ही सत्यापित किये जा चुके हैं. कार्यक्रम के सुचारू क्रियान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए कृषि एवं किसान सशक्तीकरण विभाग ने कई सक्रिय कदम उठाये हैं. बताया गया कि जिला स्तर पर समन्वय बैठकें जिलाधिकारी-कम-कलेक्टरों के नेतृत्व में आयोजित की गयी हैं, ताकि जमीनी स्तर पर प्रयासों को सुदृढ़ किया जा सके. इसके अलावा, चयनित क्लस्टरों में किसानों के बीच जागरूकता बढ़ाने के लिए संवेदनशीलता बैठकें आयोजित की गयी हैं. जागरूकता फैलाने के लिए टेलीविजन विज्ञापन, पर्चे वितरण, सोशल मीडिया प्रचार और किसान सहभागिता बैठकें जैसी सूचना, शिक्षा और संचार गतिविधियां भी शुरू की गयी हैं.
5949 हेक्टेयर क्षेत्र में की गयी आलू की खेजी
बैठक में बताया गया कि अब तक, 1,28,391 क्विंटल आलू बीज विभिन्न जिलों में भेजे जा चुके हैं, जिनमें से लगभग 1,03,000 क्विंटल किसानों को वितरित किये गये हैं. इसके परिणामस्वरूप राज्य में लगभग 5949 हेक्टेयर क्षेत्र में आलू की खेती की जा चुकी है. उप मुख्यमंत्री ने बीज वितरण और रोपण की गति तेज करने, समय पर इनपुट और तकनीकी सहायता उपलब्ध कराने की आवश्यकता पर बल दिया. बैठक में संचालन से जुड़ी चुनौतियों और उन्हें दूर करने की रणनीतियों पर भी चर्चा की गयी, विशेष रूप से विभिन्न हितधारकों के बीच सहयोग को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित किया गया. बैठक में कृषि विभाग के प्रमुख सचिव डॉ अरविंद कुमार पाढ़ी, बागवानी निदेशक निखिल पवन कल्याण, विभाग के वरिष्ठ अधिकारी और जिला स्तरीय अधिकारी उपस्थित थे.
पश्चिम बंगाल से आपूर्ति बंद होने के कारण ओडिशा में आलू की कीमतें बढ़ी
ओडिशा में पिछले दो दिन में आलू की कीमतों में वृद्धि दर्ज की गयी है क्योंकि पश्चिम बंगाल ने राज्य में रसोई की आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति पर प्रतिबंध लगा दिया है. व्यापारियों ने यह जानकारी दी. आलू से लदे सैकड़ों ट्रक ओडिशा-बंगाल सीमा के पास खड़े हैं क्योंकि बुधवार रात से वाहनों को अंतरराज्यीय सीमा पार करने की अनुमति नहीं दी गयी है. इनमें से कई ट्रक अपने मूल स्थान पर लौट आये हैं क्योंकि आलू खराब हो सकते हैं. व्यापारियों ने कहा कि पहले ओडिशा के बाजारों में 30 रुपये से 33 रुपये प्रति किलोग्राम के हिसाब से बिक रहा आलू अब खुदरा बाजारों में 40 रुपये प्रति किलोग्राम हो गया है. उन्होंने कहा कि अगर आपूर्ति बहाल नहीं हुई, तो आलू की कीमतें और बढ़ सकती हैं. ऑल ओडिशा ट्रेडर्स एसोसिएशन के सचिव सुधाकर पांडा ने ओडिशा सरकार से हस्तक्षेप करने और राज्य में आलू के ट्रकों को प्रवेश की अनुमति देने के लिए पड़ोसी राज्य पश्चिम बंगाल के साथ बातचीत करने की अपील की है. इस बारे में पूछे जाने पर, खाद्य आपूर्ति और उपभोक्ता कल्याण मंत्री कृष्णचंद्र पात्रा ने कहा कि पश्चिम बंगाल से आलू की आपूर्ति में व्यवधान हुआ है. हम पंजाब या उत्तर प्रदेश से आलू लायेंगे और सुनिश्चित करेंगे कि उपभोक्ताओं को कोई समस्या न हो.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है