Rourkela News: बसंती कॉलोनी में हाउसिंग बोर्ड की 250 करोड़ रुपयों की जमीन पर कब्जा, शहर में आवास का संकट

Rourkela News: बसंती कॉलोनी में ओडिशा राज्य हाउसिंग बोर्ड की करीब 20 एकड़ बेशकीमती जमीन अतिक्रमणकारियों के कब्जे में है.

By Prabhat Khabar News Desk | February 7, 2025 11:47 PM

Rourkela News: बसंती कॉलोनी में ओडिशा राज्य हाउसिंग बोर्ड की करीब 20 एकड़ बेशकीमती जमीन अतिक्रमणकारियों के कब्जे में है. जिससे यहां पर हाउसिंग बोर्ड का मकान बनने की बजाय इस भूमि पर बस्ती से लेकर विभिन्न सामाजिक और सांस्कृतिक संगठन उभर आये हैं. अतिक्रमित भूमि का मूल्य 250 करोड़ रुपये से अधिक होने का आकलन किया गया है. तीन साल पहले विभाग ने सर्वे कराकर अतिक्रमण हटाने की योजना बनायी थी. भुवनेश्वर के एक संगठन से यह सर्वे कराया गया था. लेकिन शहर में इस बात की चर्चा जोरों पर है कि विभाग में उन लोगों और संस्थाओं को उखाड़ने का साहस नहीं है, जो पिछले 20 वर्षों से बोर्ड की जमीन पर काबिज हैं.

1970 में हाउसिंग बोर्ड को आवंटित की गयी थी जमीन

विदित हो कि राज्य सरकार ने राउरकेला के लोगों को आवास उपलब्ध कराने के उद्देश्य से 1970 के दशक में छेंड और बसंती कॉलोनी क्षेत्रों में हाउसिंग बोर्ड को भूमि आवंटित की थी. दोनों कॉलोनियों में हाउसिंग बोर्ड ने मकान और मार्केट का निर्माण कराकर लाभार्थियों को वितरित किया था. हालांकि बसंती कॉलोनी इलाके में करीब 20/25 एकड़ जमीन बची हुई थी. उस जमीन पर चरणबद्ध तरीके से आवासीय परियोजनाएं विकसित करने की योजना थी. लेकिन चाहे विभागीय अधिकारियों की लापरवाही हो या कोई अन्य कारण, उस भूमि का उपयोग नहीं हो सका. जैसे-जैसे समय बीतता गया, लोग उस पर अतिक्रमण करते गये. एक के बाद एक सैकड़ों ऐसे मकान अवैध रूप से हाउसिंग बोर्ड की जमीन पर बने हैं. लेकिन हाउसिंग बोर्ड इसे गिराने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है. बोर्ड की भूमि पर आवासीय कॉलोनियों की जगह अवैध बस्तियां बस गयी हैं. वहीं कुछ दबंग लोगों ने जबरन हाउसिंग बोर्ड की जमीन पर कब्जा करके उस पर सामाजिक और सांस्कृतिक भवन बना लिये हैं. वे विवाह और जन्मदिन जैसे सामाजिक कार्यों के लिए इसे किराये पर देकर धन कमा रहे हैं.

स्मार्ट सिटी की जनसंख्या बढ़ी, आवास की उपलब्धता नहीं

राउरकेला की जनसंख्या लगातार बढ़ती जा रही है और यहां आवास उपलब्ध नहीं है. विभिन्न क्षेत्रों से मिली शिकायतों के बाद विभागीय उच्च अधिकारियों ने 2022 में तीसरे पक्ष से सर्वे कराने का आदेश दिया. सर्वे के बाद जानकारी मिली कि 20/25 एकड़ जमीन पर अतिक्रमण हो चुका है. अतिक्रमण के बाद वहां आवासीय मकान बनाने की योजना थी. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. सर्वे रिपोर्ट तक दबा दी गयी. वहीं इस बात पर बहस चल रही है कि अतिक्रमण हटाना राउरकेला स्थित बोर्ड कार्यालय की क्षमता से बाहर है, क्योंकि हाउसिंग बोर्ड का सारा काम भुवनेश्वर से नियंत्रित होता है. राउरकेला कार्यालय में अधिकारियों का टोटा है. कटक के एक अधिकारी को यहां की अतिरिक्त जिम्मेदारी दी गयी है. इसके अलावा राजनीतिक दबाव ने भी परियोजना के कार्यान्वयन में बाधाएं पैदा की हैं. राजनीतिक दल अवैध कब्जा हटाने का विरोध कर रहे हैं क्योंकि वहां वोट बैंक प्रभावित होने का डर है. बीजद के 24 साल के शासन के बाद राज्य में भाजपा पहली बार सत्ता में आयी है. राउरकेला में आवास की समस्या की चर्चा राउरकेला से लेकर राजधानी तक हो रही है. आने वाले दिनों में सरकार क्या कदम उठाएगी? यह देखना अभी बाकी है.

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