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Rourkela News : राउरकेला पुलिस जिला में सात वर्ष में 700 लोगों ने आत्महत्या कर दी जान

राउरकेला पुलिस जिला में पारिवारिक कलह, मानसिक अवसाद और अन्य कारणों से पुरुष और महिलाएं आत्महत्या कर रहे हैं. मौत को गले लगाने में छात्र और युवतियां भी शामिल हैं

Rourkela News : राउरकेला पुलिस जिला में पारिवारिक कलह, मानसिक अवसाद और अन्य कारणों से पुरुष और महिलाएं आत्महत्या कर रहे हैं. मौत को गले लगाने में छात्र और युवतियां भी शामिल हैं. पिछले 84 महीनों (2018 से 2024 नवंबर) में राउरकेला पुलिस जिले में 711 लोगों ने आत्महत्या की. यानी औसतन प्रत्येक महीने नौ लोग आत्महत्या से मरते हैं. इनमें बुजुर्ग, पुरुष, महिलाएं, युवा महिलाएं और छात्र शामिल हैं. आंकड़ों के अनुसार जिले में 2018 में 174 लोगों ने आत्महत्या की, इनमें 113 पुरुष और 61 महिलाएं हैं. इसी तरह 2019 में 96 पुरुष, 46 महिलाएं, कुल 142 लोगों की जान गयी. 2020 में यह संख्या बढ़ गयी. इस साल 109 पुरुष व 53 महिलाओं को मिला कर 162 लोगों ने आत्महत्या की. 2021 में 62 पुरुषों और 61 महिलाओं समेत 123 लोगों ने आत्महत्या की. इस तरह वर्ष 2022 में 26 पुरुषों और 7 महिलाओं सहित कुल 33 लोगों की जान गयी. 2023 में 34 पुरुषों और 9 महिलाओं समेत 43 लोगों ने आत्महत्या की. नवंबर 2024 के अंत तक 30 पुरुष समेत 4 महिलाओं ने 34 लोगों ने आत्महत्या की. पुलिस जिले में सबसे ज्यादा आत्महत्या के मामले रघुनाथपल्ली थाने में मिले हैं. लाठीकटा थाना दूसरे व ब्राह्मणीतरंग तीसरे, प्लांटसाइट थाना चौथे स्थान पर है. प्लांटसाइट पुलिस स्टेशन में 2018 में विभिन्न कारणों से 18 आत्महत्याएं हुईं. 2019 में यह संख्या 14, 2020 में 13 और 2021 में 10 से अधिक थी. बिसरा थाने में 2018 में 11, 2019 में 7, 2020 में 10 और 2021 में 6 लोगों ने आत्महत्या की. लहुणीपाड़ा थाने में 2018 में 9, 2019 में 10 और 2020 व 2021 में 8 से अधिक अस्वाभाविक मौत के मामले दर्ज किये गये हैं. सेक्टर-7 में 2018 में 9 मामले दर्ज किये गये, जबकि 2019 और 2020 में 8 से ज्यादा मामले दर्ज किये गये और 2021 में 7 से ज्यादा मामले दर्ज किये गये.

काउंसेलिंग सेंटर खोलने की जरूरत :

शहर के बुद्धिजीवियों ने पिछले सात साल में 700 लाेगों की आत्महत्या पर गहरी चिंता जतायी है. इसकी रोकथाम के लिए शहर में एक काउंसेलिंग सेंटर खोलने की जरूरत बतायी है, जिसमें तनाव, मानसिक अवसाद, निराशावादी विचार आने पर लोग अपनी भावना व्यक्त कर सकें तथा आत्महत्या जैसे कदम न उठायें. इसके लिए सरकारी अथवा गैर सरकारी स्तर पर काउंसेलिंग सेंटर खोले जाने की जरूरत है.

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