सेल के एग्जीक्यूटिव ऑफिसर की परीक्षा में गड़बड़ी, अभ्यर्थियों से लिये गये ढाई से तीन लाख रुपये

चीफ विजिलेंस ऑफिसर की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि सेल के एग्जीक्यूटिव ऑफिसर की परीक्षा में गड़बड़ी हुई है. सेल के सभी प्लांट इसकी जद में हैं. राउरकेला में भी सीबीआइ जांच कर सकती है.

By Prabhat Khabar Print | June 29, 2024 11:48 PM

राउरकेला. स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) की एग्जीक्यूटिव ऑफिसर परीक्षा में अनियमितता मामले में अब नये खुलासे सामने आ रहे हैं. सेल के सीवीओ (चीफ विजिलेंस ऑफिसर) विनीत पांडेय की जांच रिपोर्ट में बकायदा इस बात का जिक्र किया गया है कि प्रति उम्मीदवार ढाई से तीन लाख रुपये का लेन-देन हुआ है. सीवीओ के बाद अब मामले की जांच सीबीआइ भी कर रही है. सीवीओ की जांच रिपोर्ट में बोकारो के साथ ही सेल के सभी प्लांट का जिक्र होने के कारण अब संभावना व्यक्त की जा रही है कि राउरकेला में भी सीबीआइ जांच करेगी. मामला भले ही सबसे पहले बोकारो स्टील प्लांट (बीएसपी) में सार्वजनिक हुआ था, लेकिन बाद में जब सीवीओ ने विभागीय जांच शुरू की, तो लगभग सभी प्लांट में गड़बड़ी होने के संकेत मिले. लिहाजा जांच के दायरे में सभी प्लांट आ गया है. गौरतलब है कि यह परीक्षा पहले वर्ष 2022 में आयोजित की गयी थी. गैर-कार्यकारियों को एग्जीक्यूटिव स्तर पर पदोन्नत करने के लिए यह आंतरिक पदोन्नति परीक्षा हुई थी. लेकिन तत्कालीन सेल अध्यक्ष सोमा मंडल ने परीक्षा में अनियमितताओं से जुड़ा वीडियो सामने आने के बाद परीक्षा रद्द कर दिया था और नये सिरे से परीक्षा कराने का निर्देश दिया था. इसके बाद 6 नवंबर को फिर से परीक्षा हुई. परीक्षा की पूरी प्रक्रिया को सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अधीन भारत सरकार के संगठन ब्रॉडकास्ट इंजीनियरिंग कंसल्टेंट्स इंडिया लिमिटेड को आउटसोर्स किया गया था.

ओएमआर शीट में कुछ भी नहीं लिखा, फिर हुए पास

सीवीओ ने अपनी जांच में पाया है कि परीक्षा केंद्र में तैनात सेल कर्मियों ने 22 ऐसे परीक्षार्थियों की ओएमआर शीट की तस्वीरें खींच ली थीं. जिसमें थोड़ा बहुत या फिर कुछ भी नहीं लिखा हुआ था. बाद में इन 22 अभ्यर्थियों में से 14 लिखित परीक्षा में पास हो गये. बाद में साक्षात्कार के लिए भी चुने गये. इन अभ्यर्थियों का नाम जब अंतिम चयन सूची में आया, तो तस्वीर खींचनेवालों का माथा ठनका और उन्होंने इन तस्वीरों को इस्पात मंत्रालय के साथ साझा कर दिया. इसके बाद मंत्रालय हरकत में आया तथा सेल की सतर्कता विभाग ने आंतरिक जांच शुरू कर दी. अब सीवीओ की जांच रिपोर्ट ने जो खुलासा किया है वह बेहद चौंकानेवाला है. रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि कुछ लोगों ने संभावित खतरे का अनुमान लगाकर 22 उम्मीदवारों (बोकारो केंद्र) की ओएमआर शीट (जो प्रथम दृष्टया खाली या लगभग खाली दिखाई दे रही थी) की तस्वीरें परीक्षा केंद्र पर ली थी. इनके ओएमआर शीट खाली थे या ना के बराबर लिखे थे. ऐसे 14 अभ्यर्थी साक्षात्कार के लिए चयनित भी हो गये. जो यह दर्शाता है कि लिखित परीक्षा में गड़बड़ी हुई है.

सतर्कता विभाग की रिपोर्ट में धन के लेन-देन का उल्लेख

सीवीओ ने अपनी टिप्पणी में आगे कहा है कि भारी मात्रा में धन के लेन-देन से इनकार नहीं किया जा सकता. प्रति अभ्यर्थी 2.5 से तीन लाख रुपये तक लिये जाने की आशंका जतायी गयी है. सतर्कता विभाग की रिपोर्ट में धन के लेन-देन का दो बार उल्लेख किया गया है. सतर्कता टीम ने अपनी तथ्यात्मक रिपोर्ट में उल्लेख किया है कि उत्तीर्ण अभ्यर्थियों से भारी मात्रा में धन एकत्र किया है. आंतरिक जांच में सभी प्लांट का जिक्र होने के कारण राउरकेला में भी इसकी चर्चा शुरू हो गयी है. परीक्षा में शामिल होने वाले 1214 और साक्षात्कार के लिए बुलाए गए 455 अभ्यर्थियों को अब अपने भविष्य को लेकर चिंता सता रही है.

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