Rourkela News: राउरकेला रेलवे स्टेशन में स्वचालित सीढ़ियां नहीं करतीं काम, लिफ्ट भी रहती है बंद, यात्री परेशान

Rourkela News: राउरकेला स्टेशन में यात्री सुविधाओं का अभाव है. इसके प्रति रेलवे प्रबंधन उदासीन के कारण बुजुर्ग, महिलाओं और मरीजों को परेशानी हो रही है.

By Prabhat Khabar News Desk | December 23, 2024 11:48 PM
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Rourkela News: रेलवे की ओर से आये दिन नागरिक सुविधाओं में इजाफा का दावा किया जाता है, लेकिन एक के बाद एक असंवेदनशीलता के उदाहरण लोगों के सामने आ रहे हैं. नियमित संज्ञान में लाये जाने के बावजूद राउरकेला मॉडल रेलवे स्टेशन की स्वचालित सीढ़ियां काम नहीं करतीं. लिफ्ट अकसर बंद रहती है. नतीजतन बुजुर्ग, महिलाएं और मरीज बेबसी के साथ सीढ़ियां चढ़कर एक से दूसरे प्लेटफॉर्म में आने-जाने को विवश होते हैं. ऐसा ही कुछ राउरकेला रेलवे स्टेशन में बार-बार देखने को मिलता है.

सीढ़िंया चढ़कर एक से दूसरे प्लेटफॉर्म पर जाते हैं मरीज

सोमवार को भी यहां एक महिला वॉकर के सहारे सीढ़ियां चढ़ती नजर आयी. हर रेलवे स्टेशन की तरह अधिकारियों और विभागों की एक लंबी श्रृंखला राउरकेला रेलवे स्टेशन में हैं, जो यहां यात्रियों के लिए सुविधाएं सुनिश्चित करने को तैनात की गयी है. सरकारी खजाने से तनख्वाह दी जा रही है, ताकि यात्रियों को सुरक्षा व सुविधाएं मिलें और समस्याओं का समाधान हो. लेकिन लगातार हो रही इन समस्याओं का कोई स्थायी समाधान हुक्मरानों के पास नहीं है.

दावे बड़े, हकीकत सिफर

राउरकेला रेलवे स्टेशन को विकसित करने के दावों की बात करें, तो शीर्ष अधिकारी अलग-अलग मंचों पर बड़े-बड़े दावे कर चुके हैं. जिन्हें सुनकर शहरवासियों के मन में भी उम्मीदें जगी थीं कि संभवत: कुछ वर्षों में तब्दीली देखने को मिलेगी. लेकिन इसके बावजूद बुनियादी सुविधाओं का टोटा ही नजर आ रहा है. साफ-सफाई, लिफ्ट, स्वचालित सीढ़िययों को दुरुस्त रखने में रेलवे प्रशासन के पसीने छूट रहे हैं. करोड़ों की परियोजनाओं को रेलवे स्टेशन में धरातल पर उतारने के लिए डीपीआर, ब्लू प्रिंट का जिक्र अकसर होता रहा है. पिछले दो-तीन सालों से यह बातें चल रही हैं, लेकिन ऐसा कुछ होता दिख नहीं रहा है.

नियमित दौरे पर आते हैं शीर्ष अधिकारी, लेकिन नहीं बदल रही सूरत

चक्रधरपुर डिवीजन के अधीन राउरकेला रेलवे स्टेशन में शीर्ष अधिकारी अक्सर दौरे पर आते रहते हैं. इस दौरान वे स्थानीय अधिकारियों के साथ समस्याओं की समीक्षा करते हैं और कथित सख्त हिदायत देकर चले जाते हैं. लेकिन इसका कोई असर स्टेशन के अधिकारियों, कर्मचारियों व विभागों पर नहीं दिखता.

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