झारसुगुड़ा. सेकेंड बटालियन ओएसएपी के पास स्थित निर्माणाधीन बौद्ध मंदिर परिसर में गुरुवार को अनुयायियों ने भगवान बुद्ध का 2568वां जन्मदिवस पूरे रीति-रिवाज के साथ मनाया. वैशाख पूर्णिमा के दिन ही भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था. इसलिए इसे बुद्ध पूर्णिमा भी कहा जाता है. हर वर्ष की तरह चलित वर्ष भी ओएसएपी के बौद्ध धर्म मानने वाले निवासियों द्वारा बुधवार की संध्या से ही पूजा-अर्चना शुरू की गयी थी. इस दौरान स्थानीय देवी-देवताओं की भी पूजा-अर्चना की गयी. वहीं गुरुवार सुबह नौ बजे शांति पदयात्रा निकाली गयी. जिसमें भगवान के शांति का संदेश दिया गया. इसके बाद यहां निर्माणाधीन बौद्ध मंदिर परिसर में भगवान बौद्ध की पूजा-अर्चना के साथ उनका अभिषेक किया गया. विश्व शांति के लिए दीप जलाये गये.
विश्व में शांति चाहते थे भगवान बुद्ध
भगवान बुद्ध के उपासक विष्णु कुमार बुड़ा व लामा विनोद कुमार तमांग ने पूरी पूजा की विधि का संचालन किया. दोनों ने कहा कि आज के दिन को हम त्रिसुयोग के रूप में भी मनाते हैं क्योंकि आज के दिन ही सिद्धार्थ गौतम का जन्म हुआ था. आज के दिन ही उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई थी. आज के ही दिन उनका महाप्रयाण भी हुआ था. बुद्ध शांति के दूत थे. वे हमेशा से विश्व में शांति चाहते थे.झारसुगुड़ा में बन रहा पश्चिम ओडिशा का पहला बौद्ध मंदिर
बौद्ध उपासक विष्णु कुमार ने बताया कि पूरे पश्चिम ओडिशा में बौद्ध मंदिर नहीं है. पश्चिम ओडिशा का पहला बौद्ध मंदिर झारसुगुड़ा में बन रहा है. जिसमें हम सभी लोग जो बौद्ध धर्म को मानते हैं ने यथा शक्ति सहयोग किया है. जो भी इस पुनीत कार्य में सहयोग करना चाहते हैं, हम उनका स्वागत करते हैं. हम सभी की इच्छा है कि आगामी बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर हम नवनिर्मित बौद्ध मंदिर में पूजा-अर्चना करें. इस अवसर पर सैकड़ों की संख्या में लोग उपस्थित रहकर भगवान बुद्ध की पूजा-अर्चना करने के साथ सामूहिक रूप से प्रसाद का सेवन किया.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है