पुरी. देवस्नान पूर्णिमा के अवसर पर शनिवार को ओडिशा के पुरी में शनिवार को भगवान जगन्नाथ की पवित्र स्नानयात्रा देखने श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी. हिंदू कैलेंडर के अनुसार ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा के दिन भगवान श्री जगन्नाथ की स्नानयात्रा आयोजित होती है. इसमें महाप्रभु जगन्नाथ भाई भगवान बलभद्र और बहन देवी सुभद्रा के साथ स्नान करते हैं. बाद में चतुर्धामूर्ति (महाप्रभु जगन्नाथ, भगवान बलभद्र, देवी सुभद्रा और सुदर्शन) गजवेश में श्रद्धालुओं को दर्शन देते हैं. परंपरा के अनुसार, भगवान जगन्नाथ को स्नान कराने के लिए 35 घड़ा, बलभद्र के लिए 33 घड़ा, देवी सुभद्रा के लिए 22 और भगवान सुदर्शन के लिए 18 घड़ा सुगंधित जल का इस्तेमाल किया जाता है. शनिवार को देव स्नान पूर्णिमा के अवसर पर भगवान जगन्नाथ और उनके भाई-बहन की ‘स्नान यात्रा’ देखने के लिए हजारों श्रद्धालु पुरी में एकत्रित हुए. सभी देवताओं को स्नान कराने के लिए स्नान मंडप में लाया गया. ऐसा माना जाता है कि यह प्रथा उन्हें शुद्ध करने और सम्मान देने के लिए की जाती है. यह उन दुर्लभ अवसरों में से एक है, जब देवता सार्वजनिक रूप से दिखायी देते हैं. भक्तों को प्रसिद्ध रथ यात्रा से पहले नजदीक से दर्शन करने को मिलता है.
रिमझिम बारिश के बीच स्नानयात्रा देख श्रद्धालु हुए आनंदित
पुरी में रिमझिम बारिश की फुहारों के बीच प्रभु जगन्नाथ की स्नान यात्रा देख श्रद्धालु आनंदित दिखे. बारिश के बीच ही भगवान के पवित्र स्नान की रस्में जारी रहीं. प्रात: 4:30 बजे सुबह की आरती के बाद 5 से 7 बजे के बीच कपाट बंद कर दिये गये और भगवान और उनके भाई-बहन पर फूलों की मालाएं अर्पित की गयीं. सबसे पहले भगवान सुदर्शन, फिर श्री बलभद्र, देवी सुभद्रा और अंत में महाप्रभु श्री जगन्नाथ स्नान मंडप में पहुंचे.
महाप्रभु ने गजवेश में श्रद्धालुओं को दिया दर्शन
महाप्रभु श्री जगन्नाथ ने भाई भगवान बलभद्र, बहन देवी सुभद्रा और भगवान सुदर्शन के साथ श्रद्धालुओं को गजवेश में दर्शन दिया. श्रीमंदिर प्रबंधन समिति की देखरेख में सेवायतों ने सभी नीतियां संपन्न करायी. इस दौरान श्रद्धालु बड़दांड से महाप्रभु की स्नान यात्रा और गजवेश का दर्शन किया. बाद में सभी देवताओं को मंदिर में ले जाया गया.
महाप्रभु पड़े बीमार, अब सात जुलाई को दर्शन
मान्यता है कि स्नानयात्रा के दिन पवित्र स्नान करने के बाद चतुर्धामूर्ति बीमार पड़ जाते हैं. जिसके बाद वे अणसर गृह में चले जायेंगे, जहां उनका विभिन्न प्रकार की जड़ी-बूटियों से उपचार किया जायेगा. इस दौरान श्रीमंदिर में प्रभु के दर्शन बंद रहेंगे. अब प्रभु सात जुलाई को रथयात्रा के दिन श्रद्धालुओं को दर्शन देंगे. इस दौरान श्रद्धालु अलरानाथ मंदिर में पहुंच कर दर्शन का लाभ प्राप्त कर सकेंगे.
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