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लाठीकटा ब्लॉक के 18 पंचायतों के आदिवासियों के आजीविका का साधन है महुआ

लाठीकटा ब्लॉक अंतर्गत 18 पंचायतों के आदिवासियों की आजीविका का मुख्य साधन महुआ फूल संग्रह कर बेचना है. इन आदिवासी परिवारों के सभी सदस्य मार्च और अप्रैल के महीने में सुबह से ही महुआ फूल इकट्ठा करना शुरू कर देते हैं.

लाठीकटा, लाठीकटा ब्लॉक अंतर्गत 18 पंचायतों के आदिवासियों की आजीविका का मुख्य साधन महुआ फूल संग्रह कर बेचना है. इन आदिवासी परिवारों के सभी सदस्य मार्च और अप्रैल के महीने में सुबह से ही महुआ फूल इकट्ठा करना शुरू कर देते हैं. लगभग सभी लोग अपनी जमीन पर लगे पेड़ों से महुआ इकट्ठा करते हैं. लाठीकटा, बोलानी, बिरडा, बिरकेरा, हाथीबंधा, जलदा, रामजोड़ी मुंडाजोर, सुइडीही आदि सभी ग्राम पंचायतों में महुआ इकट्ठा किया जाता है. इस महुआ से शराब के साथ ही पीठा व अन्य खाद्य सामग्री बनायी जाती है. लेकिन स्थानीय लोग इसे हाट और खुले बाजार में बेचते हैं. इससे संग्राहकों की तुलना में व्यापारियों को अधिक लाभ होता है. अन्य लघु वनोपज की भांति सरकार की ओर से इसका न्यूनतम समर्थन मूल्य तय नहीं किया जाता है. इसलिए व्यापारी इसकी कीमत स्वयं तय करते हैं तथा खरीदते हैं. जिसमें एक टीन के डिब्बे में प्रति डिब्बा 20 से 25 रुपये में खरीदते हैं. कुछ स्थानों पर इसे वजन के हिसाब से भी खरीदा जाता है. बताया जाता है कि महुआ से देसी शराब बनानेवाले भट्टी मालिकों द्वारा कम कीमत पर महुआ खरीदने के लिए दलालों तथा व्यापारियों को नियोजित किया जाता है. वे औने-पौने दाम पर संग्रह करने वाले ग्रामीणों से महुआ खरीदते हैं. संपर्क करने पर वन विभाग के एक कर्मचारी ने बताया कि पंचायत कार्यालय में 30 रुपये किलो की दर पर महुआ खरीदने की व्यवस्था है. लेकिन इसकी जानकारी नहीं होने से ग्रामीण शोषण का शिकार होते हैं.

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