100 करोड़ की लागत वाली मेगा लिफ्ट परियोजना हुई बेकार, किसान परेशान
लगाम बालू खनन से जिले के कोलाबीरा और झारसुगुड़ा ब्लॉक के निवासियों की लाइफ लाइन भेडेन नदी अपना अस्तित्व खोती जा रही है. जिससे इस पर निर्भर लोगों की आजीविका पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है.विगत एक दशक में भेडेन नदी मॉनसून के मौसम के बाद सूख जा रही है. जिससे सिंचाई परियोजनाएं बेकार हो गयी हैं. पानी की कमी के कारण कृषि भूमि बंजर होती जा रही है.
झारसुगुड़ा.बेलगाम बालू खनन से जिले के कोलाबीरा और झारसुगुड़ा ब्लॉक के निवासियों की लाइफ लाइन भेडेन नदी अपना अस्तित्व खोती जा रही है. जिससे इस पर निर्भर लोगों की आजीविका पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है.
विगत एक दशक में भेडेन नदी मॉनसून के मौसम के बाद सूख जा रही है. जिससे सिंचाई परियोजनाएं बेकार हो गयी हैं. पानी की कमी के कारण कृषि भूमि बंजर होती जा रही है. वहीं मशीनों द्वारा धड़ल्ले से बेलगाम बालू खनन ने नदी के क्षरण में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, जिसका प्रतिकूल प्रभाव सुंदरगढ़ के बणई अनुमंडल से लेकर झारसुगुड़ा के कोलाबीरा ब्लॉक तक देखा जा रहा है. यही कारण है कि कुचिंडा में सैदा, सामासिंघा और कार्तीकेला, परमानपुर स्थित भेडेन नदी के किनारे तीन मेगा लिफ्ट परियोजनाओं में लगभग 100 करोड़ रुपये के निवेश के बावजूद अब वे नदी के घटते तटों के कारण सिंचाई लक्ष्य को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रही हैं. यहां के किसान, जो कभी भरपूर फसल की आशा रखते थे, अब असफल मेगा लिफ्ट परियोजना और अपर्याप्त सिंचाई की कड़वी सच्चाई से जूझ रहे हैं.