100 करोड़ की लागत वाली मेगा लिफ्ट परियोजना हुई बेकार, किसान परेशान

लगाम बालू खनन से जिले के कोलाबीरा और झारसुगुड़ा ब्लॉक के निवासियों की लाइफ लाइन भेडेन नदी अपना अस्तित्व खोती जा रही है. जिससे इस पर निर्भर लोगों की आजीविका पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है.विगत एक दशक में भेडेन नदी मॉनसून के मौसम के बाद सूख जा रही है. जिससे सिंचाई परियोजनाएं बेकार हो गयी हैं. पानी की कमी के कारण कृषि भूमि बंजर होती जा रही है.

By Prabhat Khabar News Desk | April 20, 2024 10:11 PM

झारसुगुड़ा.बेलगाम बालू खनन से जिले के कोलाबीरा और झारसुगुड़ा ब्लॉक के निवासियों की लाइफ लाइन भेडेन नदी अपना अस्तित्व खोती जा रही है. जिससे इस पर निर्भर लोगों की आजीविका पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है.

विगत एक दशक में भेडेन नदी मॉनसून के मौसम के बाद सूख जा रही है. जिससे सिंचाई परियोजनाएं बेकार हो गयी हैं. पानी की कमी के कारण कृषि भूमि बंजर होती जा रही है. वहीं मशीनों द्वारा धड़ल्ले से बेलगाम बालू खनन ने नदी के क्षरण में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, जिसका प्रतिकूल प्रभाव सुंदरगढ़ के बणई अनुमंडल से लेकर झारसुगुड़ा के कोलाबीरा ब्लॉक तक देखा जा रहा है. यही कारण है कि कुचिंडा में सैदा, सामासिंघा और कार्तीकेला, परमानपुर स्थित भेडेन नदी के किनारे तीन मेगा लिफ्ट परियोजनाओं में लगभग 100 करोड़ रुपये के निवेश के बावजूद अब वे नदी के घटते तटों के कारण सिंचाई लक्ष्य को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रही हैं. यहां के किसान, जो कभी भरपूर फसल की आशा रखते थे, अब असफल मेगा लिफ्ट परियोजना और अपर्याप्त सिंचाई की कड़वी सच्चाई से जूझ रहे हैं.

सरकार के अधूरे वादे से बढ़ी किसानों की निराशा

सामसिंघा पंचायत के मां दुर्गा किसान संघ के अध्यक्ष चेतनानंद पटेल ने किसानों की दुर्दशा पर प्रकाश डालने के साथ ही कहा कि मेगा लिफ्ट परियोजना की विफलता उन्हें कृषि बीमा तक पहुंच से वंचित करती है. बैराज निर्माण परियोजना को मंजूरी देने के सरकार के अधूरे वादे से किसानों की निराशा और बढ़ गयी है, जो सिंचाई प्रणाली को फिर से जीवंत कर सकती है. भेडेन नदी की बर्बादी के पीछे मुख्य दोषी अवैध बालू खनन है, जिसे कई अनधिकृत बालू माफिया द्वारा नदी का दोहन करने के बावजूद राजस्व विभाग द्वारा नजरअंदाज कर दिया गया. बालू खनन के लिए नीतियों, नियमों और दिशा-निर्देशों के घोर उल्लंघन के कारण भूजल स्तर में गिरावट आयी है, जिससे आसपास के क्षेत्रों में जैव विविधता प्रभावित हो रही है.

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