Bhubaneswar News: ओडिशा के मिशन शक्ति कार्यक्रम से जुड़ी हजारों महिलाएं, जिनमें मास्टर बुक कीपर (एमबीके), बैंक मित्र, कृषि मित्र और प्राणी मित्र शामिल हैं, ने भुवनेश्वर के लोअर पीएमजी स्क्वायर पर वेतन न मिलने को लेकर विरोध प्रदर्शन किया. यह प्रदर्शन ऑल ओडिशा जीपीएलएफ (ग्राम पंचायत लेवल फेडरेशन) मिशन शक्ति वर्कर्स फ्रंट के बैनर तले आयोजित किया गया. प्रदर्शनकारियों ने नौ महीने से वेतन नहीं मिलने पर अपनी नाराजगी व्यक्त की. महिलाओं ने दावा किया कि उनका वेतन अप्रैल से रुका हुआ है, जिससे उनके परिवारों का पालन-पोषण करना मुश्किल हो गया है.
मार्च में वेतन वृद्धि की हुई थी घोषणा, अब तक नहीं हुआ भुगतान
मार्च में सरकार ने ₹6,250 से ₹10,750 प्रति माह तक वेतन वृद्धि की घोषणा की थी, लेकिन महिलाओं का आरोप है कि अब तक उन्हें उनका भुगतान नहीं मिला है. इसके अलावा, उन्होंने बताया कि पूर्व बीजद सरकार के कार्यकाल के दौरान का भी उनका तीन महीने का वेतन बकाया है, जबकि वर्तमान मोहन मांझी के नेतृत्व वाली सरकार ने छह महीने का वेतन जारी नहीं किया है. डिप्टी सीएम प्रभाती परिडा से आश्वासन मिलने के बावजूद समस्या का समाधान नहीं हुआ है. प्रदर्शन कर रही एक महिला ने बताया कि हमने यह मुद्दा अपने विभाग प्रमुखों के साथ उठाया था, लेकिन अब तक हमारे वेतन जारी करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया. अब हम डिप्टी मुख्यमंत्री से अपील करते हैं कि वे हमारी समस्याओं का संज्ञान लें और जल्द से जल्द इसका समाधान करें.
विपक्ष की मुख्य सचेतक ने शून्यकाल में चिंता व्यक्त की
विपक्ष की मुख्य सचेतक प्रमिला मल्लिक ने मिशन शक्ति की कार्यकर्ताओं के प्रदर्शन का मुद्दा विधानसभा में उठाया और अध्यक्ष से इस पर रूलिंग की मांग की. उन्होंने कहा कि नवीन पटनायक के कार्यकाल के दौरान महिलाओं को हर क्षेत्र में सशक्त बनाने के लिए मिशन शक्ति शुरू किया गया था. लेकिन वर्तमान सरकार की कार्यवाही से यह चिंता उत्पन्न हो रही है कि वह मिशन शक्ति को बंद करने का इरादा रखती है. एमबीके (मास्टर बुक कीपर), सीआरपी और बैंक मित्रों को राज्य सरकार द्वारा वेतन का भुगतान नहीं किया गया है, और वे अब सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं. राज्य सरकार को इस मामले पर स्पष्टता प्रदान करनी चाहिए.छह महीने से न तो काम दिया गया, न ही वेतन का भुगतान हुआ
प्रमिला मल्लिक ने कहा कि भले ही मिशन शक्ति विभाग चालू है, लेकिन एमबीके, सीआरपी और बैंक मित्रों को, जिन्हें जिम्मेदारी सौंपी गयी है, छह महीने से न तो काम दिया गया है और न ही वेतन का भुगतान किया गया है. यहां तक कि उनके कार्यालय भी कार्यरत नहीं हैं. जहां पिछली सरकार ने मिशन शक्ति के माध्यम से महिलाओं को सशक्त किया था, वहीं वर्तमान सरकार उनकी दुर्दशा के प्रति उदासीन प्रतीत होती है. यह भी अफवाहें हैं कि नयी सरकार मिशन शक्ति को समाप्त कर सकती है, और यह चिंता बजट आवंटन में झलकती है. 60,000 से अधिक महिलाएं अब संकट में हैं और अपनी बात को लेकर सड़कों पर प्रदर्शन कर रही हैं. सरकार को उनकी समस्याओं का समाधान करना चाहिए.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है