तलसरा व रघुनाथपाली विधायक को राज्य कैबिनेट में नहीं मिली जगह
राष्ट्रीय दलों की सूबे में सरकार बनने पर सुंदरगढ़ को मंत्री पद देने में कंजूसी बरतने के आरोप लगते रहे हैं. इस बार भी भाजपा की सरकार में सुंदरगढ़ के किसी भी विधायक को कैबिनेट में जगह नहीं मिली है. जिससे उनके समर्थकों में निराशा है.
राउरकेला. ओडिशा विधानसभा चुनाव 2024 में सुंदरगढ़ जिले की तलसरा सीट से भवानीशंकर भोई ने दूसरी बार जीत दर्ज की. वहीं रघुनाथपाली विस सीट पर दुर्गाचरण तांती ने बीजद के 15 साल पुराने गढ़ में परचम फहरा दिया. जब ओडिशा में भाजपा की स्पष्ट बहुमत वाली सरकार बनी, तो दोनों को इस बार मंत्री पद मिलने की उम्मीद उनके समर्थकों में जगी थी. लेकिन दोनों ही कैबिनेट में जगह नहीं पा सके. ऐसा पहली बार नहीं है, जब सुंदरगढ़ जिले के विधायकों को राज्य कैबिनेट में शामिल करने में कंजूसी की गयी है. पूर्व में भी जब राष्ट्रीय दलों की सरकारें बनी हैं, तब सुंदरगढ़ जिले के सत्तारूढ़ दल के विधायकों को मंत्री पद देने में कंजूसी बरती गयी है.
क्षेत्रीय दलों की सरकार में मिला है जिले को प्रतिनिधित्व
इससे पूर्व जब सूबे में कांग्रेस की सरकार थीं, तो जिले से सुंदरगढ़ के पूर्व विधायक किशोर पटेल, तलसरा के पूर्व विधायक गजाधर मांझी, रघुनाथपाली की पूर्व विधायक फ्रिडा टोप्नो को मंत्री बनाया गया था. लेकिन जब 1995 में राउरकेला से कांग्रेस प्रत्याशी प्रभात महापात्र ने जनता दल के दिग्गज नेता दिलीप राय को मात दी, तो उम्मीद जगी थी कि सूबे में नवगठित जेबी पटनायक की सरकार में उन्हें मंत्री पद मिलेगा. लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ. हालांकि सूबे में जब-जब क्षेत्रीय दलों की सरकार बनी है, तो राउरकेला से लेकर राजगांगपुर तक के सत्तारूढ़ दलों के विधायकों को मंत्री बनाया गया है.
1990 में दिलीप राय बने थे पहले मंत्री
1990 में जब राउरकेला से दिलीप राय जनता दल के टिकट पर जीते थे, तो सूबे की बीजू पटनायक की सरकार में उन्हें उद्योग मंत्री बनाया गया था. उस समय पहली बार राउरकेला से काेई विधायक मंत्री बना था. वहीं 2004 व 2009 में बीजद के टिकट पर चुनाव जीतने वाले शारदा प्रसाद नायक को भी मंत्री पद मिला था. इसके अलावा 2009 में परिसीमन के बाद एससी के लिए आरक्षित रघुनाथपाली सीट पर बीजद के टिकट पर जीत दर्ज करने वाले सुब्रत तराई भी मंत्री रह चुके हैं. इसके अलावा राजगांगपुर से पूर्व विधायक मंगला किसान को भी मंत्री बनाया गया था. लेकिन इस बार यहां से जीते भाजपा के दोनों विधायकों को मंत्री पद न मिलने से उनके समर्थकों में निराशा देखी जा रही है.
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