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झारसुगुड़ा : एनएच-49 का विस्तार नहीं, जिले में हर वर्ष जा रही 100 से अधिक लोगों की जान

झारसुगुड़ा जिला के कनकतुरा, कोलाबीरा होते हुए गुजरने वाला राष्ट्रीय राजमार्ग-49 जानलेवा बना हुआ है. केवल झारसुगुड़ा में हर वर्ष 200 से अधिक दुर्घटनाएं हो रही हैं. जिनमें 100 से अधिक लोगों की जान जा रही है.

झारसुगुड़ा. छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले से होकर झारसुगुड़ा जिला के कनकतुरा, झारसुगुड़ा से कोलाबीरा होते हुए गुजरने वाला राष्ट्रीय राजमार्ग-49 जानलेवा बना हुआ है. 2018 से ही इस पर केवल झारसुगुड़ा में हर वर्ष 200 से अधिक दुर्घटनाएं हो रही हैं. जिनमें 100 से अधिक लोगों की जान जा रही है. लेकिन इसका चौड़ीकरण करने व विस्तार को लेकर विभाग चुप्पी साधे हुए हैं. सरकारी रिपोर्ट के अनुसार, केवल झारसुगुड़ा जिला में ही एक वर्ष में 200 से अधिक सड़क दुर्घटनाओं में 100 से अधिक लोगों की मौत हुई है. इसके पीछे मुख्य कारणों में राष्ट्रीय राजपथ का विस्तार नहीं होना, राजपथ पर अंधा मोड़ व रनवे को माना जा रहा है. इसे लेकर राष्ट्रीय राजपथ को फोर लेन करने व विस्तार की मांग वर्षों से की जा रही है. लेकिन राष्ट्रीय राजमार्ग विभाग केवल डीपीआर-डीपीआर खेल रहा है.

जमीन अधिग्रहण की रिपोर्ट आने के बाद तैयार होगा डीपीआर

राष्ट्रीय राजपथ प्राधिकरण के परियोजना निदेशक डीएस चौधरी से पूछने पर उन्होंने कहा कि एलाइनमेंट को लेकर विवाद होने से डीपीआर तैयार करने में देरी हो रही थी. वहीं अब उसकी मंजूरी मिल गयी है. अब जमीन अधिग्रहण की रिपोर्ट आने के बाद डीपीआर तैयार किया जायेगा. विदित हो की गत वर्ष नौ फरवरी को डीपीआर तैयार करने के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने मार्क टेकनोक्राप्ट से समझौता किया था. डीपीआर बनाने के लिए 10 माह का समय दिया गया था. किंतु एलाइनमेंट अर्थात रास्ता किस ओर कैसे जायेगा, इसको लेकर विवाद होने से इसमें विलंब हुआ था. वहीं जिले के लखनपुर अंचल में स्थित कोयला खदान अंचल में राष्ट्रीय राज मार्ग आने का विरोध कोयला कंपनी ने किया था. इसके बाद नया एलाइनमेंट प्रस्तुत किया गया, जिसके तहत किस गांव से व कौन से घर व दुकान इसकी परिधि में आयेंगे, इसकी पूरी सर्वे रिपोर्ट आने के बाद डीपीआर तैयार किया जायेगा. फिर इसकी मंजूरी व टेंडर प्रक्रिया शुरू होगी. नये एलाइनमेंट की मंजूरी के बाद वर्तमान जिस मार्ग पर राष्ट्रीय राजमार्ग गया है, उसे नया रास्ता नहीं छूयेगा. नये रास्ते से कनकतुरा से झारसुगुड़ा तक करीब चार किलोमीटर की दूरी कम होगी. दूसरी ओर राष्ट्रीय मार्ग का विस्तार नहीं होने से लगातार इस पर छोटी बड़ी दुर्घटनाएं होती रहती हैं और जान-माल की क्षति हो रही है.

2023 में 100 लोगों की हुई मौत

एनएच-49 पर चलित वर्ष जनवरी माह में ही सात, फरवरी माह में पांच व मार्च माह में अब तक चार लोगों की मौत हो चुकी है. वहीं सरकारी आंकड़ों के अनुसार, झारसुगुड़ा जिले में वर्ष 2018 में 318 दुर्घटनाओं में 129 लोगों की मौत हुई थी. वर्ष 2019 में 294 दुर्घटनाओं में 116 लोगों की मौत हुई थी तथा 118 सामान्य व 78 गंभीर रूप से घायल हुए थे. वर्ष 2020 में 190 दुर्घटनाओं में 93 लोगों की मौत हुई थी, जबकि 49 सामान्य व 78 गंभीर रूप से घायल हुए थे. वर्ष 2021 में 250 दुर्घटनाओं में 109 लोगों की मौत हुई थी. जबकी वर्ष 2022 में 121 व वर्ष 2023 में 100 लोगों की मौत हुई थी. इसके अलावा चलित वर्ष अब तक हुई दुर्घटनाओं में 156 सामान्य व 120 गंभीर रूप से घायल हुए हैं, जबकि 16 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है.

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