Rourkela News: एनआइटी राउरकेला के जैव प्रौद्योगिकी विभाग ने रक्तस्राव नियंत्रण के लिए विकसित की दवा, मिला पेटेंट

Rourkela News: एनआइटी के जैव प्रौद्योगिकी विभाग ने रक्तस्राव नियंत्रण के लिए दो दवाएं विकसित की हैं. इसकी बिक्री के लिए मिरेकल्स मेड सॉल्यूशंस के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किया गया है.

By Prabhat Khabar News Desk | September 28, 2024 12:24 AM

Rourkela News: राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआइटी) राउरकेला के जैव प्रौद्योगिकी और चिकित्सा इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर देवेंद्र वर्मा और उनकी शोध टीम द्वारा विकसित दो अत्याधुनिक चिकित्सा समाधानों के लिए पेटेंट प्राप्त हुए हैं. ये नवाचार हैं तीव्र रक्तस्राव नियंत्रण के लिए नैनो-फाइब्रस पॉलीइलेक्ट्रोलाइट कॉम्प्लेक्स (पेटेंट नंबर : 547492) और हेमोस्टेटिक एजेंट के रूप में स्व-संयोजित नैनो-फाइबर (पेटेंट नंबर : 376918). ये पेटेंट चिकित्सा समाधान आपातकालीन रक्तस्राव नियंत्रण में क्रांति लाने का दावा करते हैं. इन पेटेंट तकनीकों के व्यवसायीकरण के लिए एनआइटी राउरकेला ने स्टार्टअप मिराक्यूल्स मेडसॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड के साथ प्रौद्योगिकी हस्तांतरण समझौते पर हस्ताक्षर किये. हस्ताक्षर समारोह एनआइटी राउरकेला के निदेशक प्रोफेसर के उमामहेश्वर राव और मिराक्यूल्स मेडसॉल्यूशंस के सीइओ और सह-संस्थापक सबीर हुसैन के बीच हुआ.

स्टॉपब्लीड से लोगों की जान बचाने में मिलेगी मदद

मिराक्यूल्स का प्रमुख उत्पाद ‘स्टॉपब्लीड’ मौजूदा समाधानों की तुलना में तेजी से रक्तस्राव को नियंत्रित करने में सक्षम है, जो आपातकालीन स्थिति में उपयोगी साबित हो सकता है. यह समझौता एनआइटी राउरकेला के बौद्धिक संपदा नवाचार केंद्र (आइपीआइसी), जिसकी स्थापना 2022 में की गयी थी, द्वारा शुरू किया गया पहला प्रौद्योगिकी हस्तांतरण है. पिछले दो वर्षों में लगभग 50 पेटेंट प्राप्त करने वाले आइपीआइसी ने नवाचार को बढ़ावा देने और संस्थान में बौद्धिक संपदा के निर्माण, संरक्षण और प्रबंधन के लिए व्यापक सहायता प्रदान की है. एनआइटी राउरकेला की ओर से इस समझौते पर प्रोफेसर सौरव चटर्जी (चेयरपर्सन, आइपीआइसी) और प्रोफेसर रोहन धीमन (रजिस्ट्रार) ने गवाह के रूप में हस्ताक्षर किये. इस कार्यक्रम में एनआइटी राउरकेला के डीन और आइपीआइसी के सदस्य भी उपस्थित थे, जबकि मिराक्यूल्स टीम के सदस्य वर्चुअल माध्यम से शामिल हुए.

एनआइटी के निदेशक ने स्टार्टअप-अकादमिक सहयोग की सराहना की

प्रोफेसर के उमामहेश्वर राव ने दोनों पक्षों की सराहना की और इस स्टार्टअप-अकादमिक सहयोग के सामाजिक लाभ पर जोर दिया. संस्थान के पूर्व छात्र रह चुके सबीर हुसैन ने 2018 में एनआइटी राउरकेला के जैव प्रौद्योगिकी और चिकित्सा इंजीनियरिंग विभाग से एम-टेक किया था. इस पहल का समर्थन करते हुए एनआइटी राउरकेला के एलुमनी इंडस्ट्री और अंतरराष्ट्रीय संबंधों के डीन प्रोफेसर एचबी साहू ने स्टार्टअप के लिए जरूरी फंड मुहैया कराने के लिए एल्युमिनी नेटवर्क के इच्छुक निवेशकों से संपर्क करने का प्रस्ताव रखा. समारोह के अंत में सबीर हुसैन ने सभी को धन्यवाद देते हुए कहा कि यह नवाचार सैन्य और नागरिक चिकित्सा आपातकालीन स्थितियों, विशेष रूप से सशस्त्र युद्ध या सड़क दुर्घटनाओं में अनगिनत लोगों की जान बचाने की क्षमता रखता है. एक मेड इन इंडिया उत्पाद के रूप में इसमें मजबूत निर्यात क्षमता भी है. हम पहले से ही भारतीय सेना और अन्य संगठनों के साथ इसके संभावित उपयोग पर चर्चा कर रहे हैं.

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